राजनीति, बाजार की तकरार, तपस्वियों के प्रोडक्ट से भरा बाजार
राजनीति, बाजार की तकरार, तपस्वियों के प्रोडक्ट से भरा बाजार
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इन दिनों भारतीय बाजारों में बाबाओं के कई तरह के उत्पाद धूम मचा रहे हैं। दरअसल इन प्रोडक्ट्स के माध्यम से लोग स्वदेशी वस्तुओं और स्वदेशी तत्वो की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इन उत्पादों के माध्यम से काॅस्मेटिक्स के बाजार में हर्बल क्रीम्स और फैस वाॅश ने धूम मचा दी है। बाबाओं के इस तरह के प्रोडक्टस से स्वदेशी का नारा चल पड़ा है।

तो दूसरी ओर लोग भी काॅस्मेटिक्स के प्रयोग को लेकर अधिक जागरूक हो गए हैं। मगर भारत के तपस्वियों, साधुओं और संतों के इन प्रोडक्ट्स ने मल्टीनेशनल्स के बाजार को प्रभावित कर दिया है। जिसके चलते मल्टीनेशनल्स कंपनियां बाबाओं के खिलाफ छद्म रूप से विरोध करने में लगी होती हैं।

हालांकि बाबाओं के ये प्रोडक्ट्स कुछ महंगे भी होते हैं मगर लोगों में स्वदेशी के प्रति चाहत होने से लोग इन्हें अपनाने के लिए उत्साहित होते है। योग गुरू बाबा रामदेव पतंजलि उत्पाद के माध्यम से लोगों के बीच नए - नए उत्पाद लेकर आते हैं तो आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर भी काॅस्मेटिक्स और अन्य उत्पादों को लांच कर चुके हैं। यही नहीं डेरा सच्चा सौदा के संत गुरमीत सिंह राम रहीम भी भारतीय बाजार में उतर गए हैं।

 उनके कई प्रोडक्टस मार्केट में हैं। हालांकि बाबाओं के ये प्रोडक्ट्स शुद्ध और हर्बस पर आधारित होने का दावा किया जाता है लेकिन राजनीतिक और बाजार की प्रतिस्पर्धा इनका छद्म विरोध करने से नहीं चूकती है। इन बाबाओं के प्रोडक्टस अच्छे हैं या नहीं इसकी कसौटी तो उपभोक्ता ही तय करते हैं

लेकिन इनके माध्यम से भारतीय बाजार में स्वदेशी का चलन बढ़ा है। एक तरह से ये मेक इन इंडिया और मेक फाॅर इंडिया के काॅन्सेप्ट को गति प्रदान कर रहे हैं। हालांकि बाबा रामदेव के प्रोडक्ट्स को लेकर कई बार सवाल उठाए जाते रहे हैं

लेकिन उन्होंने इन सवालों का बेबाकी से जवाब दिया है। पतंजलि के कुछ डेयरी प्रोडक्ट्स भी सुर्खियों में रहते हैं। इन्हें लेकर शुद्धता के सवाल उठाए जाते रहे हैं। बाजार में सवाल उठते हैं आखिर पतंजलि घी कितना शुद्ध होता है। मगर इस सवाल पर भी बाबा का अपना अलग तर्क है वे अपने यहां गौ शाला की गायों का हवाला देते हैं।

भारतीय बाजार में बाबाओं के प्रोडक्ट्स का तोड़ नज़र नहीं आ रहा है मगर बाबाओं को मल्टीनेशनल्स और अन्य आयामों पर होने वाले विरोधों को लेकर सचेत रहना होगा तभी उनके प्रोडक्टस की सार्थकता पूरी तरह से सिद्ध हो पाएगी। बहरहाल भारत के संतों, ऋषियों ने एक बार फिर यह साबित किया कि वे भारतीयता को बचाने और सहेजने के लिए एक बार फिर तैयार हैं।  

'लव गडकरी'

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