पथरी होने के कारण एवं लक्षण
पथरी होने के कारण एवं लक्षण
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गुर्दों में पथरी होने का प्रारंभ में रोगी को कुछ पता नहीं चलता है, लेकिन जब वृक्कों से निकलकर पथरी मूत्रनली में पहुंच जाती है तो तीव्र शूल की उत्पत्ति करती है. पथरी के कारण तीव्र शूल से रोगी तड़प उठता है. कहा जाता है कि इसमें होने वाल दर्द प्रसव के दौरान होने वाले दर्द से भी ज्यादा होता है.

आखिर क्यों होती है पथरी?

भोजन में कैल्शियम, फोस्फोरस और ऑक्जालिकल अम्ल की मात्रा अधिक होती है तो पथरी का निर्माण होने लगता है. उक्त तत्त्वों के सूक्ष्म कण मूत्र के साथ निकल नहीं पाते और वृक्कों में एकत्र होकर पथरी की उत्पत्ति करते हैं. सूक्ष्म कणों से मिलकर बनी पथरी वृक्कों में तीव्र शूल की उत्पत्ति करती है. कैल्शियम, फोस्फेट, कोर्बोलिक युक्त खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन से पथरी का अधिक निर्माण होता है.

पथरी होने के लक्षण:

पथरी के कारण मूत्र का अवरोध होने से शूल की उत्पत्ति होती है. मूत्र रुक-रुक कर आता है और पथरी के अधिक विकसित होने पर मूत्र पूरी तरह रुक जाता है. पथरी होने पर मूत्र के साथ रक्त भी निकल आता है. रोगी को हर समय ऐसा अनुभव होता है कि अभी मूत्र आ रहा है. मूत्र त्याग की इच्छा बनी रहती है. पथरी के कारण रोगी के हाथ-पांवों में शोध के लक्षण दिखाई देते हैं. मूत्र करते समय पीड़ा होती है. कभी-कभी पीड़ा बहुत बढ़ जाती है तो रोगी पीड़ा से तड़प उठता है. रोगी कमर के दर्द से भी परेशान रहता है.

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