कहीं स्मार्टफोन के साथ सोना, पड़ ना जाए महंगा
कहीं स्मार्टफोन के साथ सोना, पड़ ना जाए महंगा
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जैसे जैसे सुविधाएं जितनी ज्यादा बढ़ती जाती हैं वैसे वैसे खतरे भी बढ़ते जाते हैं. जब पहली बार मोबाइल का आविष्कार हुआ तो वो एक उपयोगी गैजेट जे रूप में उभर के सामने आया था. आज मोबाइल सिर्फ बात करने वाला डिवाइस नहीं रहा उसमे कई सारे फीचर्स आजाने से वह काफी उपयोगी और सुविधाजनक डिवाइस बन चूका हैं. लेकिन इस सुविधा ने हमे इसका इतना आदि बना दिया कि हम एक मिनट के लिए भी इस से जुदा हो कर नहीं रह सकते. यहाँ तक की रात में सोते वक़्त भी इसे अपने तकिए के पास इस कदर लेके सोते हैं जैसे वो हमारा बच्चा हो.

यदि आप भी रात में मोबाइल को अपने सिराने रख कर सोते हैं तो सावधान हो जाइए. लन्दन में हुई एक रिसर्च के अनुसार स्मार्टफोन और टैबलेट से निकलने वाली रौशनी नींद के लिए अच्छी नहीं होती. गैजेट आकार में जितना ज्यादा बड़ा होता हैं वह उतना ही ज्यादा नुकसान करता हैं. अँधेरा होने पर हमारा शरीर मेलाटोनिन नाम का तत्व शरीर में छोड़ने लगता है जो हमारे शरीर को नींद के लिए तैयार करता हैं. किन्तु फ़ोन से निकली हरी नीली रौशनी इस तत्व को ठीक से बनने नहीं देती. जिसके चलते मेलाटोनिन कम बनता हैं और नींद आने में मुश्किल आती हैं.

रिसर्च में इस बात का भी खुलासा किया गया कि यदि सोने से पहले इन गैजेट्स का उपयोग नहीं किया जाए तो हमारी नींद में एक घंटे की बढ़ोत्तरी और हो सकती हैं. नींद पूरी ना होने से शरीर को काफी नुकसान उठाना पड़ता हैं. इसलिए शोधकर्ता यह सलाह देते हैं कि सोने से कम से कम एक घंटे पहले मोबाइल व अन्य गैजेट्स का उपयोग नहीं करना चाहिए.

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