जयपुर: जयपुर में आज मंगलवार, 21 नवंबर को आगामी राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस पार्टी का घोषणापत्र जारी किया गया। इस कार्यक्रम में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाग लिया। घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष सीपी जोशी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पार्टी का ध्यान घोषणापत्र में उल्लिखित सात गारंटियों पर होगा, जिसमें 2030 तक का लक्ष्य होगा। कृषि सहायता:- कांग्रेस पार्टी किसानों को आश्वासन देती है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट के आधार पर निर्धारित किया जाएगा। साथ ही पार्टी ने वादा किया है कि, किसानों को उनके वित्तीय संसाधनों को मजबूत करने के उद्देश्य से बिना ब्याज के 2 लाख रुपये का ऋण प्रदान किया जाएगा। युवा रोजगार:- घोषणापत्र में 4 लाख युवाओं को सरकारी नौकरियों में भर्ती करने का वादा किया गया है। साथ ही कांग्रेस ने कहा है कि पंचायत स्तर पर भर्ती के लिए एक नया कैडर बनाया जाएगा, जिससे राज्य में कुल 10 लाख युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। स्वास्थ्य सेवा पहल:- घोषणापत्र में चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 50 लाख रुपये तक के चिकित्सा उपचार कवरेज का वादा किया गया है। कांग्रेस का कहना है कि, उसने 3 करोड़ 50 लाख लोगों के इनपुट से यह घोषणापत्र तैयार किया है। युवा कल्याण उपाय:- कांग्रेस ने वादा किया है कि, शैक्षणिक पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से सरकारी कॉलेजों में दाखिला लेने वाले छात्रों को टैबलेट वितरित किए जाएंगे। प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए प्रति परिवार 15 लाख रुपये तक का बीमा कवर सुनिश्चित करने का वादा किया गया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी ने पहले परिवारों की महिला मुखियाओं के लिए 10,000 रुपये का वार्षिक सम्मान, 500 रुपए में सब्सिडी वाले LPG सिलेंडर, पशुपालकों से 2 रुपए किलो में गाय के गोबर की खरीद, जैसे वादे के हैं। जाति जनगणना:- इसके साथ ही पार्टी ने अपने प्रमुख नेता राहुल गांधी द्वारा उठाए गए जातिगत जनगणना के मुद्दे को भी अपने घोषणापत्र में जगह दी है। कांग्रेस पार्टी ने सरकार बनने पर जाति जनगणना कराने का वादा किया है। बता दें कि, राजस्थान में गहलोत सरकार ने 2011 में भी जातिगत जनगणना करवाई थी, उस समय राज्य और केंद्र दोनों जगह कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन उसके आंकड़े जारी नहीं किए गए थे। वहीं, 2015 में तत्कालीन सिद्धारमैया सरकार (कांग्रेस) ने कर्नाटक में 170 करोड़ रुपये खर्च कर जातिगत सर्वे कराया गया था। लेकिन इसके आंकड़े भी अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। अब कांग्रेस हर राज्य में जातिगत जनगणना के वादे तो कर रही है, जबकि उसने पिछले आंकड़े ही जारी नहीं किए हैं। यहाँ तक कि, प्रथम पीएम जवाहरलाल नेहरू से लेकर राजीव गाँधी तक सबने जातिगत जनगणना का विरोध किया था, लेकिन अब राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस इस मुद्दे के जरिए कुर्सी पाने की कोशिश में है। सियासी पंडितों का मानना है कि, कांग्रेस का प्लान ये भाजपा के हिन्दू वोटों में सेंध मारने का है, क्योंकि SC/ST को हिन्दू समुदाय से अलग करने में पार्टी काफी हद तक सफल रही है। अब उसकी नज़र OBC वोट बैंक पर है, जिनकी तादाद भी अधिक है और यदि उनमे से आधे भी जातिगत जनगणना के मुद्दे पर आकर्षित होकर कांग्रेस की तरफ हो जाते हैं, तो सत्ता का रास्ता आसान है, क्योंकि मुस्लिम समुदाय तो कांग्रेस का कोर वोट बैंक है ही। ऐसे में जाति जनगणना का मुद्दा कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हो सकता है और भाजपा के हिन्दू वोट बैंक में सेंधमारी करने में पार्टी कामयाब हो सकती है। सियासी जानकारों का कहना है कि, कांग्रेस ये अच्छी तरह से जानती है कि, जब तक हिन्दू समुदाय एकजुट रहकर भाजपा को वोट दे रहा है, तब तक उसे हराना मुश्किल है, जातिगत जनगणना इसी की काट है। जिससे हिन्दू वोट बैंक को जातियों में विभाजित कर उसे मैनेज करना आसान हो जाएगा। बता दें कि, कांग्रेस अब तक अल्पसंख्यकों की राजनीति करते आई थी, अल्पसंख्यकों के लिए अलग मंत्रालय, अल्पसंख्यकों के लिए तरह-तरह की योजनाएं, यहाँ तक कि दंगा नियंत्रण कानून जो कांग्रेस लाने में नाकाम रही, उसमे भी अल्पसंख्यकों को दंगों में पूरी छूट थी। उस कानून में प्रावधान ये था कि, दंगा होने पर बहुसंख्यक ही दोषी माने जाएंगे, चूँकि अल्पसंख्यक तादाद में कम हैं, इसलिए वे हिंसा नहीं कर सकते। हालाँकि, भाजपा के कड़े विरोध के कारण वो बिल पास नहीं हो सका था। अब कांग्रेस की राजनीति जो अल्पसंख्यकों की तरफ से थोड़ी सी बहुसंख्यकों की शिफ्ट होती नज़र आ रही है, तो इसके पीछे कई सियासी मायने और छिपे हुए राजनितिक लाभ हैं। हालाँकि, ऐसा नहीं है कि, कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों को पूरी तरह छोड़ ही दिया है, कांग्रेस शासित राज्यों में अब भी अल्पसंख्यकों के लिए काफी योजनाएं चल रहीं हैं, लेकिन अकेले उनके वोटों से सत्ता का रास्ता तय नहीं हो सकता, इसके लिए बहुसंख्यकों के वोटों की भी जरूरत होगी, जिसे SC/ST और OBC के रूप में विभाजित कर अपने पाले में करने की कोशिशें की जा रही हैं। अब ये जातिगत जनगणना का मुद्दा कांग्रेस को कितना फायदा देगा और भाजपा को कितना नुकसान, ये तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे और ये मुद्दा 2024 के लोकसभा चुनाव तक जोरशोर से चलेगा। फ़िलहाल, राजस्थान विधानसभा चुनाव में इसका एक छोटा असर देखने को मिल सकता है, जहाँ 25 नवंबर को मतदान होना है और नतीजे 3 दिसंबर को आने की उम्मीद है। सामान बेचने की आड़ में क्या कर रह था Amway ? 4000 करोड़ की मनी लॉन्डरिंग मामले में ED ने शुरू की जांच 2 पतियों को छोड़ महिला ने रचाई तीसरी शादी, फिर तीसरे को भी कोल्ड ड्रिंक में जहर मिलाकर पिलाया और फिर... '3 दिसंबर के बाद क्या करना है, उसी तैयारी में लगा हुआ हूं...', CM शिवराज ने कही बड़ी बात