इंदौर/ब्यूरो। देश के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में गणेश चतुर्थी पर स्थापित होने वाली गणेशजी की प्रतिमा को इंदौर के 50 साल पुराने मूर्ति का कारोबार करने वाले परिवार द्वारा तैयार किया जा रहा है। इस मूर्ति को 6 महीने पहले से बनाने का काम शुरू किया गया। मूर्तिकार अतुल पाल ने बताया इस मूर्ति को बनाने के लिए गंगा जी से मिट्टी और कोलकाता से कलर मंगवा कर तैयार किया जा रहा है। मूर्ति पूरी तरह इको फ्रेंडली और इस मूर्ति को रामघाट पर विसर्जित किया जाएगा। इस मूर्ति को अंतिम रूप दिया जा रहा है। मूर्ति की विशेषताएं इस मूर्ति में गणपति जी की 1100 आकृति दिखाई देगी। पैर के अंगूठे से लेकर हाथों की उंगलियों तक गणेश जी के चित्र अंकित है। 50 सालों से मूर्ति बनाने का कारोबार कर रहे पाल परिवार के अतुल डेढ़ हजार से ज्यादा मूर्तियां बना रहे हैं। यह मूर्तियां इंदौर, धार, भोपाल, अलीराजपुर, जैसे जिलों में विराजित होंगी। मूर्तिकार अतुल पाल ने बताया मूर्ति को 6 महीने पहले से बनाना शुरू किया था। इस मूर्ति में मिट्टी गंगा जी से मंगवाई गई है। गंगाजी की मिट्टी की एक विशेषता होती है। इससे मूर्ति का आकार उभरकर सुंदर रूप में आता है। मूर्ति की अहमियत भी गंगा जी की मिट्टी से ही बढ़ती है। गंगा जी के अलावा कहीं की मिट्टी से अगर मूर्ति का निर्माण किया जाता है तो मूर्ति में क्रैक आ जाते और मूर्ति खूबसूरत भी नहीं बनती। इसके साथ ही कोलकाता के स्पेशल कलर मंगवा कर मूर्ति पर कलर किया जाता है और यह कलर फूलों से निकाल कर बनाए जाते हैं। देश के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में 25 फीट ऊंची गणपति की मूर्ति विराजित होगी। इस मूर्ति की विशेषता है। इस मूर्ति में मिट्टी गंगाजी से मंगवाई गई और कलर कोलकाता से मंगवाए गए हैं। इस मूर्ति में 1100 गणेशजी के चित्र अंकित किए गए हैं। हर साल मूर्ति को एक नया आकार दिया जाता है। इस साल मूर्ति को गणेशजी के चित्रों से अंकित कर बनाया गया है। इस मूर्ति को राम घाट पर विसर्जित किया जाएगा। यासीन ने दर्जनों हिंदू युवतियों को बनाया अपना शिकार, टैंट लगाने की आड़ में करता था दोस्ती इस बड़ी कंपनी पर लगा धोखाधड़ी का आरोप, इंदौर क्राइम ब्रांच ने किया केस दर्ज गृहमंत्री अमित शाह का भोपाल दौरा कल, नरोत्तम मिश्रा ने दी जानकारी