'संजय गांधी अस्पताल बंद होने से अमेठी में 121 लोगों की मौत..', कांग्रेस समर्थकों ने सोशल मीडिया पर किया दावा, जिला मजिस्ट्रेट ने बताई सच्चाई

लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा अमेठी में संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस निलंबन पर रोक लगाने के कुछ दिनों बाद, सोशल मीडिया पर शहर के मुंशीगंज इलाके में 121 लोगों की मौत के बारे में एक झूठ जमकर फैलाया गया। शुक्रवार (6 अक्टूबर) को '4 बजे' नाम के एक प्रचार समाचार आउटलेट ने संजय गांधी अस्पताल के एक कथित कर्मचारी का इंटरव्यू लिया, जिसने चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण 121 मरीजों की मौत के भ्रामक दावे किए।

सौरभ मिश्रा नामक एक कथित नर्सिंग कर्मचारी ने दावा करते हुए कहा कि अस्पताल बंद होने के कारण अमेठी के 121 निवासियों की मौत हो गई है। मिश्रा ने कहा कि, 'कुछ लोग लखनऊ के रास्ते में मर रहे हैं, दूसरों को समय पर दवाएँ नहीं मिल रही हैं। यहां तक कि रुई के फाहे और पट्टियाँ भी नहीं हैं।' मिश्रा ने आगे कहा कि, "केवल 15 दिनों में लगभग 121 मरीजों की मौत हो गई है।" यहाँ तक कि, कथित नर्सिंग कर्मचारी सौरभ मिश्रा ने ये भी दावा किया कि, "यह प्रतिशोध की राजनीति है...वे (भाजपा) गांधी परिवार से नफरत करते हैं।" उनसे पहले, संजय गांधी अस्पताल के एक अन्य कथित कर्मचारी उमाशंकर पांडे ने दावा किया था कि नेहरू-गांधी राजवंश के प्रति भाजपा के तिरस्कार के कारण चिकित्सा सुविधा का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था।

पांडे ने कहा था कि, 'स्मृति ईरानी (अमेठी निर्वाचन क्षेत्र से सांसद) को इस तथ्य से नफरत है कि अस्पताल के साथ ‘गांधी’ नाम जुड़ा हुआ है। अब, वे (भाजपा) छोटे कर्मचारियों की रोजगार क्षमता को नुकसान पहुंचा रहे हैं।' इस वीडियो के क्लिप ऑनलाइन वायरल होने के बाद, कांग्रेस समर्थकों ने मौके का फायदा उठाकर अमेठी में 120 से अधिक लोगों की कथित मौत के बारे में उन्माद पैदा कर दिया। बता दें कि अमेठी में संजय गांधी अस्पताल संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट (SGMT) द्वारा चलाया जाता है, जिसकी अध्यक्ष कांग्रेस की प्रमुख नेता सोनिया गांधी हैं।

कांग्रेस के समर्थक शांतनु ने दावा किया कि, "राहुल गांधी और गांधी परिवार से नफरत में, स्मृति ईरानी और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने 121 लोगों की जान ले ली, क्योंकि संजय गांधी अस्पताल का कामकाज बंद कर दिया गया था।'' हालाँकि, सच्चाई सामने आने के बाद में शांतनु ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया। लेकिन, कुछ अन्य कांग्रेस समर्थक सोशल मीडिया हैंडल्स ने भी 121 मरीजों की मौत के दावे किए। शुक्रवार (7 अक्टूबर) की रात, अमेठी के जिला मजिस्ट्रेट (DM) और कलेक्टर, राकेश कुमार मिश्रा ने सोशल मीडिया पर प्रचारित किए जा रहे झूठे दावों को सिरे से खारिज कर दिया।

 

DM राकेश मिश्रा ने अपने आधिकारिक हैंडल से पोस्ट करते हुए जानकारी दी कि, 'पूरी तरह से भ्रामक और गलत बातें साझा की जा रही हैं। किसी की मृत्यु नहीं हुई है।' उन्होंने बताया कि अमेठी जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में दवाओं की कोई कमी नहीं है। अमेठी के जिलाधिकारी ने भी चेतावनी दी है कि, "तथ्यों के विपरीत सार्वजनिक स्वास्थ्य के बारे में अफवाह फैलाने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।"

संजय गांधी अस्पताल पर क्यों मचा बवाल:-

बता दें कि, इसी साल सितंबर में 22 वर्षीय दिव्या शुक्ला नामक युवती की मौत को लेकर अमेठी का संजय गांधी अस्पताल सवालों के घेरे में आ गया था। किडनी स्टोन के ऑपरेशन से पहले एनेस्थीसिया दिए जाने के बाद पीड़िता कोमा की स्थिति में चली गई थी। इसके बाद दिव्या शुक्ला को लखनऊ के मेदांता अस्पताल में रेफर किया गया, जहां अंततः उनकी मृत्यु हो गई। जिला प्रशासन ने चिकित्सीय लापरवाही का हवाला देते हुए अस्पताल को बंद करने का आदेश दिया और OPD और आपातकालीन सेवाओं को निलंबित करने का निर्देश दिया।

लापरवाही के आरोप में संजय गांधी अस्पताल के 4 कर्मचारियों के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है. बुधवार (4 अक्टूबर) को, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने जिला प्रशासन के आदेश पर रोक लगा दी और सेवाओं को फिर से शुरू करने का निर्देश दिया। हालाँकि, मामले में जांच जारी है। 

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