नई दिल्ली: सड़क दुर्घटनाओं में हुई मौतों के ताजा आंकड़े चौंकाने वाले हैं। 2014 से 2023 तक के दशक में लगभग 15.3 लाख लोग सड़क हादसों में मारे गए हैं, जो कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की पूरी आबादी से भी ज्यादा है। इस समस्या को हल करने के लिए केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने कई बार कदम उठाने की बात की है। बावजूद इसके, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर 10,000 किलोमीटर पर 250 लोग सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं, जो अमेरिका, चीन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के मुकाबले कहीं ज्यादा है (यहां ये आंकड़े क्रमशः 57, 119 और 11 हैं)। पिछले दशक (2004-2013) में सड़क हादसों में 12.1 लाख लोग मारे गए थे, जबकि इस दौरान गाड़ियों की संख्या 15.9 करोड़ से बढ़कर 38.3 करोड़ हो गई और सड़कों की लंबाई 48.6 लाख किलोमीटर से बढ़कर 63.3 लाख किलोमीटर हो गई। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि गाड़ियों और सड़कों की संख्या में वृद्धि ही मौतों का मुख्य कारण नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हत्या के मामलों में अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा जाता है, लेकिन सड़क दुर्घटनाओं में हुई मौतों पर ऐसा कोई जवाबदेही नहीं होती। दिल्ली पुलिस के एक पूर्व अधिकारी ने भी कहा कि सड़क दुर्घटनाएं अधिकारियों की प्राथमिकता नहीं हैं, और बड़े अधिकारी शायद ही कभी जूनियर अधिकारियों से इन हादसों पर स्पष्टीकरण मांगते हैं, भले ही कई लोग मारे जाएं। तेलंगाना के सड़क सुरक्षा प्राधिकरण के अध्यक्ष और सांसद टी कृष्ण प्रसाद ने भी चिंता जताई कि सड़क दुर्घटनाओं को उतना महत्व नहीं दिया जाता जितना हत्या के मामलों को दिया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत में एक साल में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या किसी भी प्राकृतिक आपदा से भी ज्यादा होती है। 'कोई मशीन से मेरा दिमाग कंट्रोल कर रहा..', सुप्रीम कोर्ट पहुंचा अजीबोगरीब मामला, जज हैरान आज महाराष्ट्र में चुनावी हुंकार भरेंगे पीएम मोदी, तीन रैलियों को करेंगे संबोधित ओडिशा के गवर्नर रघुबर दास के खिलाफ EC क्यों पहुंची कांग्रेस? आपत्तिजनक वीडियो का मामला