अंकारा: तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप के झटकों की वजह से अब तक 15,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने बुधवार (8 फ़रवरी) को राहत और बचाव कार्य में "कमियों" को स्वीकार किया. ऑनलाइन आलोचना बढ़ने पर एर्दोगन ने भूकंप के सर्वाधिक प्रभावित स्थानों में से एक का दौरा किया. भूकंप के केंद्र कहारनमारस में राहत कार्य में समस्याओं को स्वीकार करते हुए एर्दोगन ने कहा कि, 'बेशक, कमियां हैं. यह स्पष्ट तौर पर नज़र आ रहा है. इस तरह की आपदा के लिए तैयार रहना संभव नहीं है.' रिपोर्ट के मुताबिक, भूकंप कि वजह से हजारों इमारतें ढह चुकी हैं और अज्ञात संख्या में लोग अभी भी मलबे में फंसे हुए हैं. राहत कार्यों को कड़ाके की ठंड ने भी बाधित किया है. लोग असहाय होकर सहायता मांग रहे हैं, लेकिन उन्हें मदद नहीं मिल पा रही है. तुर्की के हटे में एक किंडरगार्टन शिक्षक सेमिर कोबन ने बताया कि, 'मेरा भतीजा, मेरी भाभी और मेरी भाभी की बहन मलबे में दबे हुए हैं. हम उन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. हम उनसे बात करने का प्रयास कर रहे हैं, मगर वे जवाब नहीं दे रहे हैं... हम मदद का इंतजार कर रहे हैं. अब 48 घंटे बीत चुके हैं.' वहीं, बचाव दल 7.8 तीव्रता के भूकंप के 3 दिन बाद भी मलबे से जिन्दा बचे लोगों को मलबे से निकालने का प्रयास करता रहा. यह भूकंप इस सदी के सबसे घातक भूकंपों में से एक है. रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की मोबाइल नेटवर्क पर भी ट्विटर काम नहीं कर रहा था. भूकंप से बचे लोगों को भोजन और आश्रय पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है. 'पीएम मोदी बुरे, ISIS आतंकी शमीमा बेगम महान महिला..', यही है BBC का एजेंडा ! ‘बचकाने हैं राहुल गांधी...’, क्या संसद में सच हो गया गुलाम नबी आजाद का कथन ? तुर्की के न्यूक्लियर प्लांट में हुआ ब्लास्ट, जानिए वायरल वीडियो का सच