भारत के सुरक्षा मामले पर नजर रखने वाले गृह मंत्रालय द्वारा नियुक्त एक समिति ने सुझाव दिया है कि असम के मूल निवासियों को परिभाषित करने तथा राज्य के बाहर के लोगों की आवाजाही पर नियंत्रण के लिए इनर लाइन परमिट (आइएलपी) जारी करने का कट-आफ वर्ष 1951 होना चहिए.सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी. योगी सरकार आज पेश करेगी चौथा बजट, इतने लाख करोड़ की योजनाओं पर रहेगा फोकस आपकी जानकारी के लिए बता दे कि समिति ने असम के विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में मूल निवासियों के लिए सीटों के आरक्षण के लिए भी दो फार्मूले सुझाए हैं. इसमें उनके लिए 67 फीसद आरक्षण का सुझाव शामिल है. FATF का एलान, कहा- 'भारत ने पाक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की...' इस मामले को लेकर मंत्रालय ने असम के मूल निवासियों को संविधान के तहत सुरक्षा मानक प्रदान करने के उपाय सुझाने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था. सूत्रों ने बताया कि जस्टिस (सेवानिवृत्त) विप्लव कुमार शर्मा की अध्यक्षता वाली 13 सदस्यीय समिति ने पिछले हफ्ते रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया. समिति ने मंत्रालय को बताया कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को रिपोर्ट सौंपने के लिए तैयार है तथा उनसे मिलने के लिए समय भी मांगा. रिपोर्ट इसी सप्ताह गृह मंत्रालय को दी जा सकती है.सूत्रों के अनुसार, कमेटी ने निर्विरोध सिफारिश की है कि जो लोग 1951 में असम के निवासी थे और उनके वंशजों को राज्य का मूल निवासी माना जाएगा, चाहे उनका समुदाय, जाति, भाषा या धर्म कुछ भी हो. NPR के लिए पूरी मदद करेगी महाराष्ट्र सरकार, लेकिन इसके आगे कुछ नहीं - NCP नेता जीतेन्द्र अव्हाड यूपी : कैबिनेट बैठक में एक दर्जन प्रस्तावों को मिल सकती है मंजूरी, इस मसौदे पर होगी सबकी नजर गोवा सरकार ने इस वजह से धारा 144 को लगाने का आदेश लिया वापस