नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लाजपत नगर में वर्ष 1996 में हुए बम धमाकों से जुड़े मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने आज गुरुवार (6 जुलाई) को बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने 4 दोषियों की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है, इनमें से दो को दिल्ली उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया था, लेकिन अब उन्हें सरेंडर करना होगा. सर्वोच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने अपने फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को बदल दिया है. ब्लास्ट के मुख्य आरोपी मोहम्मद नौशाद की उम्रकैद की सजा जारी रहेगी, दोषियों को बगैर माफी के पूरा जीवन जेल में ही काटना होगा. बता दें कि, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में बेहद महत्वपूर्ण बात ये है कि जिन दो दोषियों (मोहम्मद अली, मिर्जा निसार) को हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था, उनकी उम्रकैद की सजा को भी SC ने बरक़रार रखा है. ऐसे में अब दोनों को फ़ौरन ही सरेंडर करने के लिए कहा गया है. बता दें कि वर्ष 1996 में 21 मई की शाम को दिल्ली के लाजपत नगर इलाके की मार्केट में बम धमाका हुआ था. इसमें एक 13 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग जख्मी हुए थे. इस मामले की लंबी कानूनी लड़ाई चली थी, जिसके बाद आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट (JKIF) के आतंकियों को सजा सुनाई गई थी. पहले इस मामले में दोषी मोहम्मद नौशाद, जावेद खान, मोहम्मद अली और मिर्जा निसार हुसैन को लोअर कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी. लेकिन, बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने वर्ष 2012 में मोहम्मद नौशाद, जावेद खान की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था, साथ ही अन्य दो आरोपियों को जांच में कमी के चलते बरी कर दिया था. लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट ने बरी किए गए दोनों आरोपियों को जल्द से जल्द सरेंडर करने का आदेश देते हुए उनकी उम्रकैद की सजा बरक़रार रखी है। ‘वन्दे भारत’ ट्रेन पर पथराव करने का मकसद क्या ? कर्नाटक में दूसरी बार हुई पत्थरबाज़ी, क्या एक्शन लेगी सिद्धारमैया सरकार ? आमदनी 72 लाख, संपत्ति 35 करोड़! अखिलेश सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रसाद को हाई कोर्ट ने दिया बड़ा झटका गैंगस्टर मुख़्तार अंसारी पर इतना 'मेहरबान' क्यों थी कांग्रेस ? जेल में दिया VVIP ट्रीटमेंट, बेटों के नाम कर दी वक्फ बोर्ड की जमीन