1- उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये. 2- धन्य हैं वो लोग जिनके शरीर दूसरों की सेवा करने में नष्ट हो जाते हैं. 3- खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है. 4- एक शब्द में, यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो. 5- उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता. 6- जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते. 7- सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा. 8- विश्व एक व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं. 9- इस दुनिया में सभी भेद-भाव किसी स्तर के हैं, ना कि प्रकार के, क्योंकि एकता ही सभी चीजों का रहस्य है. 10- बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप है. 11- तुम फ़ुटबाल के जरिये स्वर्ग के ज्यादा निकट होगे बजाये गीता का अध्ययन करने के. 12- दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो. 13- किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आये – आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं. 14- सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना. स्वयं पर विश्वास करो. 15-जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं है. 16- बस वही जीते हैं,जो दूसरों के लिए जीते हैं. 17- शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है. विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है. प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है. 18- ना खोजो ना बचो, जो आता है ले लो. 19- मनुष्य की सेवा करो. भगवान की सेवा करो. 20- आकांक्षा, अज्ञानता, और असमानता – यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं. अपने जीवन में उतार लीजिए स्वामी विवेकानंद के यह विचार, मिलेगी सफलता जानिए आखिर कौन थे स्‍वामी विवेकानंद और क्यों बन गए थे वह सन्यासी जब एक अंग्रेज़ महिला ने स्वामी विवेकानंद से पुछा- 'क्या आप मुझसे शादी करेंगे' ? मिला ये जवाब