पार्टी टूटी, सत्ता गई.., उद्धव ठाकरे के लिए अच्छा नहीं रहा 2022

मुंबई: आज साल 2022 का अंतिम दिन है। 23 जनवरी 2022 को शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की जयंती पर उनके बेटे और तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने यह संकल्प लिया था कि वो सूबे में शिवसेना को और मजबूत करेंगे। इसके बाद जून महीने 19 तारीख को शिवसेना के स्थापना दिवस पर पार्टी ने यह भी कसम दोहराई कि वह भाजपा को महाराष्ट्र में उसकी वास्तविक जगह दिखा देगी, मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

इसके चंद दिनों बाद ही शिवसेना में बगावत हो गई और पार्टी के सबसे बड़े नेताओं में से एक एकनाथ शिंदे की अगुवाई में बड़ी संख्या में पार्टी विधायक और सांसद एक हो गए और भाजपा के साथ मिलकर सरकार का गठन कर लिया। वर्ष 2022 की शुरुआत में जहां शिवसेना मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही थी, वहीं सत्ता के लिए विचारधारा से समझौता कर कांग्रेस से हाथ मिलाने के बाद वर्ष के आखिर में उसकी स्थिति खराब हो चली है। 2019 में NCP-कांग्रेस से गठबंधन करने के बाद शिवसेना ने भाजपा को अलग-थलग कर दिया था। ठाकरे परिवार ने खुद अपने हाथों में पार्टी और महाराष्ट्र की कमान संभाली और देवेंद्र फडणवीस को विपक्ष के नेता की कमान संभालने के लिए विवश कर दिया।

महाराष्ट्र विकास आघाडी (MVA) में तमाम दरारों के बाद भी शिवसेना के नेता पूरे पांच वर्षों सरकार चलाने का दावा कर रहे थे, मगर 2022 में मात्र छह माह बीतने के शिवसेना में सियासी संकट पैदा हो गया और शिवसेना के 40 विधायकों और 10 निर्दलीय विधायकों को लेकर एकनाथ शिंदे गुवाहाटी चले गए। महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना के दो फाड़ होने को लेकर वर्ष 2022 हमेशा याद किया जाएगा।  

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