नई दिल्ली: NDA और INDIA ब्लॉक के बीच लोकसभा अध्यक्ष की नियुक्ति पर सर्वसम्मति नहीं बन पाने के बाद, कांग्रेस पार्टी ने इस पद पर सर्वसम्मति और सहयोग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर "पाखंड से भरे प्रवचन" देने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लोकसभा अध्यक्ष की नियुक्ति को ‘प्रतियोगिता’ बनाने के लिए पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि 2024 का लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री के लिए व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार है। रमेश ने एक्स पर लिखा कि, "आम सहमति और सहयोग पर अपने पाखंड से भरे प्रवचन के बमुश्किल 24 घंटे बाद ही गैर-जैविक प्रधानमंत्री ने लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए प्रतिस्पर्धा को अपरिहार्य बना दिया है। परंपरा यह रही है कि अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से होता है और उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को जाता है।" कांग्रेस नेता ने कहा कि, "गैर-जैविक पीएम ने इस परंपरा को तोड़ दिया है। यह वास्तव में कोई आश्चर्य की बात नहीं है। वह अभी भी 2024 के चुनावी फैसले की वास्तविकता से नहीं जागे हैं जो उनके लिए व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार थी।" रमेश की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान के एक दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार भारत के लोगों के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आम सहमति बनाने का प्रयास करेगी। प्रधानमंत्री ने सोमवार को कहा था कि, "पिछले 10 सालों में हमने हमेशा एक परंपरा को निभाने का प्रयास किया है, क्योंकि हमारा मानना है कि सरकार चलाने के लिए बहुमत की जरूरत होती है लेकिन देश चलाने के लिए आम सहमति सबसे महत्वपूर्ण है। इसलिए हमारा निरंतर प्रयास रहेगा कि मां भारती की सेवा की जाए और 140 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं और महत्वाकांक्षाओं को सबकी सहमति से और सबको साथ लेकर पूरा किया जाए। हम संविधान की पवित्रता को बनाए रखते हुए सबको साथ लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं और फैसले लेने की गति बढ़ाना चाहते हैं।" भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र और विपक्षी दल INDIA गठबंधन ने सर्वसम्मति से लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए आम सहमति बनाने का प्रयास किया, लेकिन विपक्षी गुट ने इस पद के लिए 8 बार के सांसद के सुरेश को मैदान में उतारने का फैसला किया। उनका नामांकन भाजपा के कोटा सांसद ओम बिरला द्वारा नामांकन दाखिल करने के बाद हुआ। लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए के सुरेश के नामांकन पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि उनकी उम्मीदवारी “लोकतंत्र को बचाने और सदन की गरिमा को बचाने” के लिए महत्वपूर्ण है। कांग्रेस सांसद ने कहा, "प्रधानमंत्री कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं, कल उन्होंने सर्वसम्मति की बात कही और आज वे उपसभापति का पद भी देने को तैयार नहीं हैं, इसलिए अगर पहले जैसा अहंकार बना रहा तो लोकतंत्र को बचाने और सदन की गरिमा को बचाने के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा और इसीलिए हमने अपनी तरफ से सुरेश (उम्मीदवार) को खड़ा किया है। यह देश को यह बताने की लड़ाई है कि विपक्ष जागरूक है, विपक्ष सतर्क है..." यह पहली बार होगा जब निचले सदन के अध्यक्ष के लिए चुनाव होंगे । आजादी के बाद से, लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति से होता रहा है। इस पद के लिए चुनाव 26 जून को होगा। शपथ लेते वक़्त असदुद्दीन ओवैसी ने ऐसा क्या नारा लगा दिया, जो संसद में मच गया बवाल ? Video आज ही हुआ था आज़ाद भारत का सबसे वीभत्स बलात्कार, आरी से चीर दी गई थी जिन्दा लड़की, किसी को नहीं हुई सजा ! यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के खिलाफ 'गैंगस्टर एक्ट' में केस, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, नोटिस जारी