आप सभी जानते ही होंगे कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाते हैं ऐसे में इस दिन काल भैरव के उपासक उपवास रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं. वहीं सबसे महत्वपूर्ण कालाष्टमी माघ मास में पड़ता है और इसे भैरव अष्टमी भई कहा जाता है. ऐसे में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन शिव ने काल भैरव का रूप लिया था और इस तहर साल में 12 कालाष्टमी व्रत पड़ते हैं. वहीं कालभैरव दरअसल भगवान शिव के ही एक रूप हैं और इन्हें समय का भगवान कहा जाता है. वहीं काल का मतलब समय और भैरव का मतलब 'शिव का अवतार' होता है. सितंबर में कब है कालाष्टमी - इस साल सितंबर की कालाष्टमी 21 तारीख को है और पंचांग के मुताबिक़ अष्टमी तिथि की शुरुआत रात 8.21 बजे से शुरू हो रही है और इस समाप्ति 22 सितंबर को रात 7.50 बजे होगी. ऐसे में 21 सितंबर की रात पूजा करना शुभ माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो साधक कालभैरव की पूजा करता है उससे नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं और इसी के साथ ही उसके जीवन में खुशियां, शांति और समृद्धि आती है. रात में पूजन का है महत्व - कालाष्टमी की मुख्य पूजा रात में करते हैं और काल भैरव की 16 विधियों से पूजा की जाती है. वहीं चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत पूरा होता है और इस दिन साधक को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए और भैरव बाबा की कथा पढ़नी चाहिए. कहते हैं ऐसा करने से भूत-पिचास, नकारात्मक शक्तियां और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता माना गया है इस वजह से उसे भी खाना खिलाना शुभ होता है. कहा जाता है काल भैरव के दिन पवित्र नदी में स्नान और पितरों का श्राद्ध और तर्पण की भी मान्यता है और काल भैरव की पूजा में काले तिल, धूप, दीप, गंध, उड़द आदि का जरूर इस्तेमाल करें और इस दिन रात को जागरण भी करते है. अगर बहुत गुस्सा करता है आपका बच्चा तो बजरंगबली से करवाएं शांत अगर परेशानी से घिरे हैं तो आज ही धारण करें हल्दी माला अगर बड़ी है आपके पैर की दूसरी ऊँगली तो आपके लिए ही है यह खबर