नई दिल्ली: संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान दो वित्तीय विधेयकों समेत कुल 21 विधेयक लाए जाने की संभावना है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि, 'हम 19 विधेयक ला रहे हैं और दो वित्तीय आइटम हैं। कुल 21 आइटम हैं। तीनों बिल गृह मंत्रालय के हैं। उन्होंने कहा कि, केंद्रीय विश्वविद्यालय पर एक विधेयक है और संवैधानिक व्यवस्था पर एक बिल है। यह सूची उस दिन जारी की गई जब 4 दिसंबर को शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले 2 दिसंबर को सर्वदलीय बैठक हुई थी। बता दें कि, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम उन प्रमुख विधेयकों में से हैं जिन्हें इस सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। जिन अन्य विधेयकों पर विचार किया जाएगा उनमें निरसन और संशोधन विधेयक (लोकसभा द्वारा पारित), अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक (राज्यसभा द्वारा पारित) और प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक (राज्यसभा द्वारा पारित) शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री जोशी ने कहा कि शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर को शुरू होगा और 22 दिसंबर को समाप्त होगा। उन्होंने कहा कि, ''19 दिनों की अवधि में 15 बैठकें होंगी।'' सर्वदलीय बैठक के बारे में बोलते हुए जोशी ने कहा, ''राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आज की सर्वदलीय बैठक में 23 पार्टियों के 30 नेता मौजूद थे। हमें कई सुझाव मिले हैं।” उन्होंने बताया कि, संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जाति आदेश (संशोधन) विधेयक, संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक, जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक भी होंगे। इसके अलावा, डाकघर विधेयक और मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक भी कार्ड में हैं। बॉयलर विधेयक, करों का अनंतिम संग्रह विधेयक, केंद्रीय माल और सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) दूसरा (संशोधन) विधेयक और केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023 पर भी विचार किया जा सकता है। वित्तीय व्यवसाय के बीच, वर्ष 2023-24 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों के पहले बैच पर एक प्रस्तुति, चर्चा और मतदान होगा और संबंधित विनियोग विधेयक की शुरूआत, विचार और पारित किया जाएगा। वर्ष 2020-21 के लिए अतिरिक्त अनुदान की मांगों पर प्रस्तुतीकरण, चर्चा और मतदान और संबंधित विनियोग विधेयक का परिचय, विचार और पारित करने का कार्य भी किया जाएगा। एक तरह से देखा जाए तो इस बार शीतकालीन सत्र में सरकार ने कई अहम मुद्दों पर बिल पारित करने की योजना बनाई है, लेकिन संसद में होने वाला हंगामा इसमें खलल डाल सकता है। दरअसल, बीते कई संसद सत्रों में ऐसा देखा गया है कि, सत्र शुरू होने से पहले ही कोई न कोई ऐसा मुद्दा आ जाता है, जिसपर पूरे संसद सत्र के दौरान हंगामा होते रहता है। विपक्ष कभी, चीन को, कभी अडानी को, कभी पेगासस को, तो कभी किसी अन्य बात को मुद्दा बनाकर संसद में हंगामा शुरू कर देता है और पूरा सत्र उसी हंगामे की भेंट चढ़ जाता है। हमने देखा था कि, चीन मुद्दे पर कानून मंत्री और रक्षा मंत्री के जवाब देने के बावजूद विपक्ष का हंगामा जारी रहा था, वहीं अडानी मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट की जांच में भेजने के बावजूद भी पूरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया था। यहाँ तक कि, यदि हंगामा करने वाले कुछ सांसदों को निलंबित कर दिया जाता है, तो उन निलंबित सांसदों का मुद्दा बनाकर अन्य विपक्षी सांसद हंगामा शुरू कर देते हैं और फिर सदन की कार्रवाई स्थगित पर स्थगित होती जाती है। अब इस बार देखना ये है कि, क्या हर बार की तरह इस बार भी संसद सत्र शुरू होने से ठीक पहले कोई मुद्दा विपक्ष के हाथ लगता है, या फिर सरकार अपने बिल पारित करवाने में कामयाब रहती है। उम्मीद है इस बार संसद में सार्थक चर्चा होगी और सवाल-जवाब के साथ काम भी होगा, लेकिन हंगामा और सदन स्थगन नहीं। जानबूझकर की दोस्ती फिर कई बार किया दुष्कर्म, गर्भवती होने के बाद खुदखुशी के लिए मजबूर राजस्थान मतगणना में कड़ी टक्कर का संकेत, अपनी-अपनी सीटों से गहलोत-पायलट आगे महाराष्ट्र के बिजनेसमैन ने घर में खेला खूनी खेल, पत्नी और बेटे की हत्या कर हुआ फरार