नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा, कनिमोझी, कंपनियों और अन्य को बरी करने के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की अपील शुक्रवार को स्वीकार कर ली। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री और पक्षों के वकीलों द्वारा दी गई दलीलों के आधार पर, CBI द्वारा प्रथम दृष्टया मामला बनाया गया है, जिसकी गहन जांच की आवश्यकता है। बता दें कि, DMK नेता ए राजा वही हैं, जिन्होंने हाल ही में सनातन धर्म को एड्स कहकर उसे ख़त्म करने की वकालत की थी । न्यायमूर्ति शर्मा की पीठ ने कहा कि, “रिकॉर्ड में मौजूद साक्ष्यों और दिए गए फैसले के आधार पर अदालत की राय है कि प्रथम दृष्टया मामला बनाया गया है, जिसके लिए पूरे सबूतों की गहन जांच की आवश्यकता है।” CBI ने आरोप लगाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस आवंटन में सरकारी खजाने को 30,984 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, जिसे 2 फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। एक विशेष अदालत ने 21 दिसंबर, 2017 को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले से संबंधित सीबीआई और ईडी मामलों में राजा, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सांसद कनिमोझी और अन्य को बरी कर दिया था। 19 मार्च, 2018 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दिसंबर 2017 के एक विशेष अदालत के फैसले पर विवाद करने के लिए उच्च न्यायालय गया। विशेष अदालत ने मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। ईडी ने तर्क दिया कि यह स्थिति मनी लॉन्ड्रिंग का एक स्पष्ट उदाहरण थी और विशेष अदालत में न्यायाधीश ने आरोपियों को रिहा करते समय मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 को गलत तरीके से समझा। एक दिन बाद CBI ने भी आरोपियों को बरी करने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। अपनी अपील में, सीबीआई ने तर्क दिया है कि 2जी मामले में 2017 के बरी फैसले का देश में भ्रष्टाचार के मामलों पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। आज जुम्मे को शुरू हुआ 'भोजशाला' का ASI सर्वे, माँ सरस्वती का परमारकालीन मंदिर होने का दावा, भारी सुरक्षाबल तैनात पहली बार नहीं हुई है सीएम केजरीवाल की गिरफ़्तारी, जानिए कब-कब कर चुके हैं जेल की यात्रा कांग्रेस ने की थी शराब घोटाले की शिकायत, माँगा था केजरीवाल का इस्तीफा, अब गिरफ़्तारी को बता रही 'लोकतंत्र की हत्या'