लुधियाना : वर्ष 1985 में हुए कनिष्क विमान हादसे को आज करीब 30 वर्ष हो चुके हैं लेकिन हादसे के निशान आज भी कायम हैं। हादसे का यह दर्द आज भी रह रहकर उठता रहता है। इस विमान हादसे को अमेरिका में पेंटागन पर हुए नाईन इलेवन के धमाके के बाद सबसे भयावह विमान त्रासदी माना जाता है। दरअसल खालिस्तान समर्थित चरमपंथियों ने इस विमान को भारत में हुए आॅपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में बम से उड़ा दिया था। आज भी अलग खालिस्तान की मांग करने वाले भिंडरावाला को लेकर कुछ चरमपंथी विरोध दर्ज करवाते हैं और इस दौरान इस हादसे की यादें भी ताज़ा हो जाती हैं। भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में वर्ष 1984 में अमृतसर के पवित्र स्वर्ण मंदिर में आॅपरेशन ब्लू स्टार के नाम पर सिख विद्रोहियों को मौत के घाट उतार दिया गया था। जिसके बाद उस समय के सिख समर्थित आतंकी संगठन द्वारा एयर इंडिया की फ्लाईट्स को बमों से उड़ा दिया गया था। इस हमले में मांट्रियाल से नई दिल्ली जा रहा एयर इंडिया का विमान कनिष्क भी प्रभावित हुआ था। इस कनिष्क विमान को 23 जून 1985 के दिन हवा में ही करीब 9400 मीटर की उंचाई पर उड़ा दिया गया था। यही नहीं अटलांटिक महासागर में यह विमान गिर गया। विमान में सवार 329 लोग इस हादसे की भेंट चढ़ गए और उनकी मौत हो गई। इस हादसे हादसे में कनाडा, यूके, ब्राजील, यूएस, अर्जेंटीना, भारत समेत कई देशों के यात्री शामिल थे। इसके साथ ही जापान में टोक्यो के हवाई अड्डे पर मौजूद एयर इंडिया के विमान को विस्फोट के माध्यम से नष्ट कर दिया गया। जिसमें दो लोग मारे गए थे। इन हादसों के बाद आरोपी के तौर पर इंदरजीत सिंह रेयात को दोषी करार दिया गया। साथ ही मामले को लेकर की गई जांच में यह बात सामने आई कि आॅपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के लिए लंबे समय से खालिस्तान का समर्थन करने वाले चरमपंथियों द्वारा ये धमाके किए गए थे। उल्लेखनीय है कि देश में अलग सिख राज्य को लेकर खालिस्तान की मांग की जाती रही है। इसके लिए बब्बर खालसा नामक सिख अलगाववादी गुट के सदस्य विरोध करते रहे हैं। मगर पंजाब में इस तरह के आतंकवाद को आईपीएस गिल और अन्य अधिकारियों की सहायता से समाप्त करने में सफलता प्राप्त की गई। हालांकि आज भी रहरहकर कुछ विरोधी अलग खालिस्तान की मांग करते हैं। हालांकि इस तरह के कदम को देशद्रोह और असंवैधानिक माना जाता है।