नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसानों का आंदोलन 63वें दिन में प्रवेश कर चुका है। पिछले 60 दिनों से भी अधिक समय से दिल्ली की सरहदों पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन की वजह से देश को प्रति दिन 35 सौ करोड़ का नुकसान हो रहा है। यह आकलन उद्योग चैंबर ने किया है। उद्योग चैम्बर के सदस्यों ने सरकार से व किसानों से इस गतिरोध को दूर करने के लिए कोई समाधान निकालने की गुजारिश की है। उद्योग चैंबर कंफडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज का भी कहना है नोटबंदी के बाद कोरोना की वजह से अर्धव्यवस्था अव्यवस्थित हुई। अर्थव्यवस्था को किसान आंदोलन से बहुत नुकसान हो रहा है। किसानों के आंदोलन पर इंडस्ट्री चैंबर्स ने कहा कि इससे इकोनॉमी को भारी नुकसान खासकर उत्तर-पश्चिम भारत की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। एसोचैम का दावा है कि किसान आंदोलन से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश जैसे परस्पर जुड़े आर्थिक क्षेत्रों के लिए व्यापक रूप से हानिकारक साबित हो रहा है। ये राज्य कृषि और वानिकी के अतिरिक्त फूड प्रोसेसिंग, कॉटन टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, फार्म मशीनरी, आईटी जैसे कई मुख्य उद्योगों के भी केंद्र हैं। इन राज्यों में टूरिज्म, ट्रेडिंग, ट्रांसपोर्ट और हॉस्पिटलिटी जैसे सर्विस सेक्टर भी बेहद मजबूत हैं। विरोध प्रदर्शन होने से इन सभी को बहुत नुकसान हो रहा है। 2021 में कैसी रहेगी वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ़्तार ? IMF ने जताया पूर्वानुमान गिरावट के साथ खुला शेयर बाजार, 48120 पर खुला सेंसेक्स नए कोविड वेरिएंट की वजह से थम सकता है विकास: आईएमएफ विश्व आर्थिक दृष्टिकोण