आप सभी को बता दें कि हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक चन्द्र मास में दो चतुर्थी होती हैं. ऐसे में पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. वहीं संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने किया जाता है लेकिन सबसे मुख्य संकष्टी चतुर्थी पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार माघ के महीने में मानी जाती है और अमांत पंचांग के अनुसार पौष के महीने में पड़ती है. ऐसे में माघ मास की चतुर्थी तिथि को संकष्ठी चतुर्थी के नाम से पुकारते है. आप सभी को बता दें कि इस तिथि को तिल चतुर्थी या माघी चतुर्थी भी कहते हैं. वहीं इस दिन भगवान गणेश की और चन्द्र देव की उपासना करने का विधान बनाया गया है और जो व्यक्ति इस दिन श्री गणपति की उपासना करता है उसके जीवन के संकट टल जाते हैं और उसे लाभ ही लाभ होता है. इसी के साथ ही संतान की प्राप्ति होती है और उनके संतान सम्बन्धी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं. आपको बता दें कि इस बार संकष्ठी चतुर्थी 04 जनवरी को मनाई जाने वाली है. अब आइए जानते हैं क्या है इस दिन भगवान गणेश की सामान्य पूजा विधि. पूजा विधि - इस दिन सुबह नहाकर गणेश जी की पूजा का संकल्प लें. अब दिन भर जलधार या फलाहार ग्रहण करें. इसके बाद शाम को भगवान् गणेश की विधिवत उपासना करें. इसके बाद भगवान को तिल के लड्डू , दूर्वा और पीले पुष्प अर्पित करें. अब चन्द्रमा को निगाह नीची करके अर्घ्य दें और भगवान गणेश के मन्त्रों का जाप करें. इसके बाद जैसी कामना हो , उसकी पूर्ति की प्रार्थना करें. आपके नाम के शुरू के अक्षर से जानिए कितने बच्चो के पेरेंट्स बनेगे आप 2019 में यह है ग्रह प्रवेश के सबसे शुभ मुहूर्त आज रात में जरूर पढ़े अन्नपूर्णा माँ का यह स्त्रोत, होगा अन्न लाभ