इंदौर : भारत और दक्षिण अफ्रीका के बिच हुए केपटाउन टेस्ट का परिणाम भारत के लिए निराशा जनक रहा. गेंदबाजों के दबदबे वाले इस मैच में दोनों टीमों के महान बल्लेबाज भी कुछ खास नहीं कर सके. जहां अफ्रीका ने दोनों पारियों में क्रमशः 286 और 135 रन बनाये . वही भरतीय टीम ने महज़ 209 और 135 के स्कोर तक पहुंचने में अपने 20 विकेट गवा दिए. इस हार के कई मायने है. केपटाउन में सिर्फ भारतीय बल्लेबाज ही नहीं मेजबान भी मुश्किल में थे. दूसरा गेंदबाजों को यदि माकूल परिस्थितियां दी जाये तो भारतीय गेंदबाज उपमहाद्वीप के बाहर भी अपना जलवा दिखा सकते है. बहरहाल विदेशो में हार का सिलसिला टूटता नज़र नहीं आ रहा है, और उम्मीदों से भरे इस दौरे में अब कई सवाल फिर से सामने है. सवाल ये भी है कि एक टेस्ट मैच जो तीन से भी कम दिन में ख़त्म हुआ, उसमे 40 विकेट गिरे और परिणाम भी निकला. ये सिर्फ एक मैच का परिणाम नहीं है ये इशारा है बल्लेबाजों की मौजूदा क्लास पर. टेस्ट मैच का नाम टेस्ट मैच यु ही नहीं है. फ़ास्ट क्रिकेट के दौर में ज्यादातर खिलाड़ी खेल के इस सबसे पुराने प्रारूप से कन्नी काटते आ रहे है. ऐसे में खेल के मूल स्वरुप के अस्तित्व पर खतरे की बातें पहले भी की जा चुकी है. खेल के लिए चिंतक और प्रशासक की भूमिका निभा रहे विभिन्न खेल संघठन ICC और BCCI को इस और फिर गंभीरता से सोचने की जरुरत है. सबा करीम ने संभाली BCCI में प्रमुख जिम्मेदारी डेल स्टेन ने कहा, बोलिंग पर मेरा पैर गलत पड़ा नहीं थमा टीम इंडिया का विदेश में हार का सिलसिला