नई दिल्ली : बीते दिनों दिल्ली में भूख़ से तीन बच्चियों की मौत का मामला सामने आया था, जिस पर देशभर में काफी सियासत भी हुई थी. इस मामले से हर कोई आहत था. भूख से मृत तीनों बच्चियां एक ही परिवार की थी. वहीं अब इसी तरह का एक और मामला महाराष्ट्र से सामने आया है. जहां करीब 46 बच्चे कुपोषण का शिकार हुए है. इस घटना ने एक बार फिर प्रत्यक्ष रूप से सरकार पर सवाल खड़े कर दिए है. NRC मुद्दे पर ममता रच रही साजिश- सर्बानंद सोनोवाल बता दे कि महाराष्ट्र के अमरावती जिले में अप्रैल 2018 से लेकर जुलाई 2018 तक करीब 46 बच्चे कुपोषण के कारण मौत का शिकार हुए है. यह आंकड़ा गत 4 माह का है. अमरावती में आदिवासी समुदाय बड़ी संख्या में निवास करता है और यहां गांवों में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. चौकसी को भारत लाने की कवायद तेज़, एंटीगुआ को सौंपे कागज़ात ख़बरों की माने तो यहां बच्चे पैदा ही कुपोषित होते है और फिर उनके साठ यहां समस्या बने रहती है. कहा जाता है कि 6 साल की उम्र तक बच्चे कुपोषित ही रहते है. अधिकतर बच्चे इस गंभीर समस्या के चलते मौत के मुंह में समा जाते हैं. बता दे कि इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने सितम्बर 2016 में सरकार को चेताते हुए कहा था कि एक साल के भीतर 17000 बच्चे कुपोषण के चलते मौत का शिकार हुए हैं. ख़बरें और भी... 35 A को लेकर जम्मू कश्मीर बंद, दो दिन रोकी गई अमरनाथ यात्रा आर्थिक भगोड़ों पर लगेगी लगाम, विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर