जयपुर: राजस्ठान के विधानसभा चुनाव में हमेशा से ही राज परिवार की मौजूदगी दिखाई दी है लेकिन पिछले चुनाव के मुकाबले इस विधानसभा चुनाव में ये ट्रेंड कम होता नजर आ रहा है. 2018 के विधानसभा चुनाव में राजपरिवार के 5 सदस्य चुनावी मैदान में हैं, जबकि इसके पहले, 2013 के चुनाव में राजपरिवारों से ताल्लुक रखने वाले 7 सदस्यों ने चुनाव में हिस्सा लिया था. इस विधानसभा चुनाव में अधिकांश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं. मिजोरम चुनाव: पूरे दिन में 71 प्रतिशत हुआ मतदान, युवाओं सहित बुजुर्गों ने भी बढ़-चढ़कर की वोटिंग 5 में से 4 राजपरिवार के सदस्य बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि एक सदस्य को कांग्रेस ने टिकट दिया है, हालांकि देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था है फिर भी राजपरिवार से चुनाव के मैदान में उतरने वाला प्रत्याशी जनता के लिए हमेशा ही आकर्षण का केंद्र रहता है. यही वजह है कि लगभग हर चुनाव में राजपरिवार के किसी न किसी सदस्य ने चुनाव जरूर लड़ा है, राजस्थान के इन राजपरिवारों ने 1962, 1967 और 1972 में 'स्वतंत्र पार्टी' बनाकर चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें 1962 में 36 सीटें, 1967 में 49 और 1972 में 11 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. मध्यप्रदेश चुनाव: मंदसौर में मतदान केंद्र में घुसी 12 फीट लंबी नागिन, मची अफरा तफरी वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में, 200 में से 7 विधायक राजघराने से ताल्लुक रखने वाले थे, जिनमें धौलपुर के राजपरिवार की बहू और वर्तमान सीएम वसुंधरा राजे के अलावा, भरतपुर राजघराने की बेटी और राजस्थान सरकार में मंत्री दीपा, भरतपुर राजपरिवार से विश्वेंद्र सिंह, जयपुर राजपरिवार की बेटी दीया कुमारी, करौली राजपरिवार की बहू रोहिणी कुमारी, बीकानेर राजपरिवार की बेटी सिद्धि कुमारी और बिजौलिया राजघराने की बहू कीर्ति कुमारी के नाम शामिल थे. इस बार भी वसुंधरा राजे, सिद्धि कुमारी, विश्वेंद्र सिंह, कृष्णेंद्र और दीपा कुमारी चुनावी मैदान में हैं. खबरें और भी:- तेलंगाना चुनाव: राहुल ने कहा सरकार बनी तो युवाओं को देंगे तीन हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता राजस्थान चुनाव: भाजपा के लिए योगी बने हथियार मध्यप्रदेश पुलिस उमा भारती के ट्वीट के बाद हरकत में आई