नई दिल्ली: कोरोना वायरस से वैश्विक मौत के आंकड़े सोमवार को 50 लाख के पार पहुंच गए हैं. दो साल से भी कम वक़्त में इस महामरी ने न सिर्फ गरीब देशों को बरबाद कर दिया, बल्कि उन समृद्ध देशों में भी भारी तबाही मचाई है, जहां स्वास्थ्य देखभाल की उत्तम व्यवस्था है. संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और ब्राजील सभी उच्च-मध्यम- या उच्च-आय वाले देश, विश्व की आबादी का आठवां हिस्सा हैं, किन्तु सभी मौतों का लगभग आधा हिस्सा हैं. अकेले अमेरिका में 7,40,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, जो किसी भी अन्य देश की तुलना में काफी अधिक है. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, मरने वालों की तादाद, लॉस एंजिल्स और सैन फ्रांसिस्को की संयुक्त आबादी के बराबर है. पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओस्लो के अनुमानों के अनुसार, यह 1950 के बाद से विभिन्न देशों के बीच लड़ाई में मारे गए लोगों की संख्या को टक्कर देता है. विश्व स्तर पर, कोरोना अब हृदय रोग और स्ट्रोक के बाद मृत्यु का तीसरी सबसे बड़ी वजह है. वहीं, रूस के नोवगोरोड क्षेत्र के अधिकारियों ने सोमवार को ज्यादातर निवासियों को 8 नवंबर से शुरू होने वाले एक और हफ्ते के लिए काम से दूर रहने का आदेश दिया क्योंकि संक्रमण और मौतें सर्वकालिक उच्च स्तर पर रहीं. बता दें कि, रूस में अब भी कोरोना कहर ढा रहा है और देश में हर दिन 40 हज़ार से अधिक केस आ रहे हैं और 1000 से अधिक मौतें हो रहीं हैं. धनतेरस के दिन मनाया जाता है आयुर्वेद दिवस' बंधन बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एजेंसी बैंक के रूप में किया गया सूचीबद्ध एसबीआई रिपोर्ट में हुआ खुलासा, लगभग 80% अर्थव्यवस्था अब डिजिटलीकरण अभियान हुआ शुरू