प्रदेश में पिछले 25 दिन में पांच बाघ और दो तेंदुओं का शिकार हो गया. फिर भी वाइल्ड लाइफ मुख्यालय के अफसरों ने फील्ड में जाकर घटनाओं की जांच करना तक ज़रूरी नहीं समझा. मुख्यालय के अफसर उन जांच रिपोर्ट से संतुष्ट हैं, जिनमें फंदे में फंसकर हुई मौतों को भी स्वाभाविक मौत बताया गया है. हैरत की बात है कि वनमंत्री और मुख्यमंत्री भी शिकार के मामलों में ध्यान नहीं दे रहे हैं जबकि देश का राष्ट्रीय पशु विलुप्ति की कगार पर है. विशेषज्ञों का सवाल है कि फंदे में फंसने से होने वाली मौत स्वभाविक कैसे हो गई. शहडोल में चार बाघ व एक तेंदुए का शिकार हुआ है, जबकि पन्ना टाइगर रिजर्व में एक बाघिन व एक तेंदुए का शव फंदे में फंसा मिला. बाघिन को कॉलर आईडी लगी थी और पिछले तीन दिन से उसकी लोकेशन एक ही जगह आ रही थी, पर अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया. जबकि मंगलवार को तेंदुए की मौत की खबर अफसरों तक पहुंच गई, फिर भी शव बुधवार को उठाया गया. जहां बाघिन की मौत हुई है, वहां से सात-सात किमी दूर स्थित टॉवर से 24 घंटे निगरानी रखी जाती है, फिर भी कोर एरिया में फंदा लगा दिया गया. अफसरों का कहना है कि वे जल्द ही आरोपियों को पकड़ लेंगे, लेकिन मैदानी अफसरों और कर्मचारियों की चूक की जांच नहीं हो रही है. मुख्यालय के अफसरों के लिए ये जांच का विषय ही नहीं है. जातिसूचक शब्दों को लेकर हुआ जघन्य हत्याकांड क्रिसमस के पहले शिकागो में गोलीबारी एक क्विंटल वज़नी तिजोरी सहित लाखों रुपये चोरी