बिलासपुर. भारत में भले ही महिलाएं सरपंच पद के चुनाव जीतती आई हों, पर असल में उनके नाम पर उनके पति ही सरपंच पद का इस्तेमाल करते हैं और महिलाएं घर गृहस्थी में ही लगी रहती हैं. अगर कोई पंचायत में जाती भी हैं तो उन्हें पति के साथ ही जाने को मिलता है. अब 50 महिला सरपंचों ने इस ‘सरपंच पति संस्कृति ’के खात्मे का निर्णय ले लिया है. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में पंचायत के कामकाज में पतियों के हस्तक्षेप से परेशान महिला सरपंचों ने एकजुट हो बगावत छेड़ दी. इसके लिए उन्हें घर और बाहर गुस्से और संशय भरी निगाहों का सामना करना पड़ा. मस्तूरी ब्लॉक की 50 महिला सरपंच ने नारी शक्ति पंचायत संघ के रूप में एक संगठन बनाकर सरपंच पति संस्कृति के खिलाफ मुहीम छेड़ दी है. अब सभी महिला सरपंच अपने दम पर पंचायतों का संचालन कर रही हैं. ग्राम पंचायत लोहर्सी की सरपंच गौर बाई गौड़ कहती हैं, “अब तक पति के बताए अनुसार ही कामकाज कर रही थी. अब मैं आजाद हूं. सरपंच के पद पर काबिज होने के बाद मुझे इस बात का अहसास पहली बार हुआ है कि मैं इतनी बड़ी ग्राम पंचायत की सरपंच हूं. अब मैं खुद पंचायत जाती हूं. साथी पंचों व सचिव के साथ मिलकर ग्राम विकास की चर्चा करती हूं.” छात्र ने छात्रा को गोली मारकर की खुदखुशी की कोशिश लव जिहाद के विरोध में बंद का आह्वान शादी के 10 साल बाद बच्चों समेत अपनाया हिन्दू धर्म