कानपुर : कानपुर के पास झांसी रेलखंड के पोखरायां स्टेशन पर दुर्घटनाग्रस्त हुई इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन के घायल यात्रियों और अन्य प्रभावितों को तब मायूसी का सामना करना पड़ा जब घायलों को उपचार दिए जाने के बाद रेलवे की ओर से इन यात्रियों को घर जाने और तत्काल आर्थिक सहायता के तौर पर 5 हजार रूपए दिए गए। आप सोच रहे होंगे आखिर इसमें मायूस होने की क्या बात है घायलों को तो आर्थिक सहायता दी गई लेकिन प्रभावितों और उनके परिजन हताश इसलिए थे क्योंकि जो आर्थिक सहायता उन्हें दी गई थी उसमें उन्हें 500 रूपए और 1000 रूपए के पुराने नोट दिए गए थे। गौरतलब है कि दुर्घटना के बाद केंद्र सरकार, रेलवे और राज्य सरकार द्वारा घायलों और हादसे में मृतकों के परिजन को आर्थिक सहायता दिए जाने की घोषणा की गई थी। जिसमें रेलवे द्वारा 3.5 लाख रूपए आर्थिक सहायता दिए जाने और घायलों को 50 हजार रूपए देने व मामूली घायलों को 25 हजार रूपए दिए जाने के लिए आर्थिक सहायता देने की बात कही गई थी। प्रभावितों को फौरी तौर पर सहायता के लिए 5000 रूपए की सहायता देने का निर्देश रेलवे ने दिया। रेलवे के अधिकारियों ने जिला चिकितसालय के इमरजेंसी वार्ड पहुंचकर घायलों को आर्थिक सहायता दी। ऐसे में अधिकारी घायलों को पुराने नोट देने लगे। जब अधिकारी आर्थिक सहायता दे रहे थे तो एक महिला आवेश में आ गई और तैश में आकर उसने रूपयों को जमीन पर ही फैंक दिया। कुछ लोगों ने तो आर्थिक सहायता लेने से ही इन्कार कर दिया। हालांकि रेलराज्यमंत्री जब घायलों से मिलने पहुंचे तो प्रभावितों ने पुराने नोट दिए जाने की बात कही। जिसे रेल राज्य मंत्री ने जानकारी न होने का हवाला दिया और कहा कि यदि किसी को पुराने नोट मिले हैं तो वह इन नोटों को वापस कर नए नोट ले सकता है। जब मनोज सिन्हा हैलट चिकितसालय पहुंचे तो वहां उन्हें इस तरह की जानकारी मिली। ऐसे में उन्होंने कहा कि पुराने नोट दिए जाने की अफवाह फैलाई जा रही है लोगों को वे ही नोट दिए जा रहे हैं जो कि चलन में हैं। उनका कहना था कि अधिकारियों को जो निर्देश दिए गए हें उनमें साफतौर पर कहा गया है कि वे ही नोट लोगों को दिए जाऐं जो चलन मेें हैें। हालांकि सरकारी चिकित्सालयों में 500 रूपए और 1000 रूपए के पुराने नोट स्वीकारे जा रहे हैं। रेल हादसा : अब तक 138 की मौत, राहत अभियान जारी रेल हादसे ने छीनी सेना के अधिकारियों की जिंदगी