अवैध बांग्लादेशियों-पाकिस्तानियों को बसाने के लिए बना डाले 52000 फर्जी सर्टिफिकेट..! जीशान-रियाज़ और विजय यादव की मिलीभगत

नई दिल्ली: भारत में एक बार फिर से ऐसा घोटाला सामने आया है, जिसने देश की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में हजारों फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने का मामला उजागर हुआ है। इस घोटाले में बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों के नागरिकों को भारत में बसाने की साजिश रची गई। जाँच में 52,000 से अधिक फर्जी प्रमाणपत्र बरामद हुए हैं।  

रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला तब सामने आया, जब जुलाई 2024 में रायबरेली के सलोन ब्लॉक के 11 गाँवों में आबादी से अधिक जन्म प्रमाणपत्र बनाए जाने की शिकायतें आईं। कई गाँवों में तो एक ही दिन में 500 से 1000 जन्म प्रमाणपत्र बनाए गए, जबकि तकनीकी रूप से एक कंप्यूटर से 24 घंटे में 100 से अधिक प्रमाणपत्र बनाना असंभव है।  

जाँच में पता चला कि इस घोटाले के पीछे एक संगठित नेटवर्क काम कर रहा था, जो एक ही आईडी और पासवर्ड का इस्तेमाल करके फर्जी प्रमाणपत्र तैयार कर रहा था। यह नेटवर्क न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, तमिलनाडु, केरल, और पंजाब जैसे राज्यों तक फैला हुआ था। इतना ही नहीं, इन प्रमाणपत्रों में बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल जैसे देशों के नागरिकों के नाम भी शामिल पाए गए।  

इस फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड मोहम्मद जीशान बताया जा रहा है, जो रायबरेली के सलोन का निवासी है। उसके साथ इस साजिश में रियाज, सुहेल खान और वीडीओ (ग्राम विकास अधिकारी) विजय सिंह यादव भी शामिल थे। जाँच के दौरान यह पता चला कि विजय यादव ने अपनी सरकारी आईडी और CUG नंबर जीशान को दे रखा था। इसी नंबर पर जन्म प्रमाणपत्र को मंजूरी देने के लिए आवश्यक ओटीपी (OTP) आती थी। खुद को बचाने के लिए विजय यादव ने ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन जाँच में उसकी मिलीभगत सामने आ गई।  

सलोन ब्लॉक के 11 गाँव इस फर्जीवाड़े से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। इनमें पाल्हीपुर (13,707 फर्जी प्रमाणपत्र), नुरुद्दीनपुर (10,151), और पृथ्वीपुर (9,393) जैसे गाँव प्रमुख हैं। इसके अलावा सांडा सैदन, माधौपुर निनैया, और गढ़ी इस्लामनगर जैसे गाँवों में भी बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाणपत्र बनाए गए।   यह घोटाला न केवल एक आपराधिक कृत्य है, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा भी है। इन फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को भारत में बसाने का काम किया गया। ये लोग बाद में भारतीय नागरिकता के लिए दावा कर सकते हैं और सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।  

सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि इन नकली प्रमाणपत्रों के जरिए अगर कोई आतंकवादी भारत में घुसपैठ कर ले, तो वह देश के किसी भी हिस्से में बड़ा हमला कर सकता है। ऐसे हमलों में न केवल निर्दोष लोगों की जान जाएगी, बल्कि शायद उन आरोपियों के अपने परिवार भी इसकी चपेट में आ सकते हैं, जो इस गैर-कानूनी काम में शामिल हैं।  

राज्य सरकार ने इन सभी फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का आदेश दिया है। पंचायती राज विभाग के उप-निदेशक सास्वत आनंद सिंह ने यह घोषणा की है। साथ ही, जिले के डीपीआरओ (DPRO) को भविष्य में प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया में खास सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं। इस मामले की जाँच अब एनआईए (NIA) और एटीएस (ATS) के हवाले कर दी गई है। जाँच एजेंसियाँ इस पूरे नेटवर्क के अन्य आरोपियों और उनके अंतरराज्यीय संबंधों की पड़ताल कर रही हैं।  

यह मामला केवल एक घोटाले तक सीमित नहीं है। यह दर्शाता है कि भारत के ही कुछ लोग, जो यहीं का खाते हैं, अपने ही देश के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। चाहे यह उनके मजहबी जुड़ाव के कारण हो या पैसों की लालच, यह साजिश भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।  यह समय है कि देश ऐसी साजिशों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे और सुनिश्चित करे कि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हो। राष्ट्र की सुरक्षा से बड़ा कुछ भी नहीं हो सकता।  

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