पटना: बिहार में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण बढ़ाने की मांग करने वाला आरक्षण संशोधन विधेयक आज राज्य विधानसभा में पारित हो गया है। बिहार कैबिनेट ने मंगलवार (7 नवंबर) को राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए कोटा बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। सीएम नीतीश कुमार द्वारा राज्य में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST), साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) के लिए आरक्षण को उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित किए गए 50 प्रतिशत की सीमा से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के प्रस्ताव के बाद यह विकास हुआ है। बता दें कि, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग कोटा (EWS) के लिए केंद्र के 10 प्रतिशत कोटा के साथ, प्रस्तावित आरक्षण 75 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। यहां बिहार में प्रस्तावित आरक्षण का विवरण दिया गया है:- अनुसूचित जाति (SC): 20% अनुसूचित जनजाति (ST): 2% अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC): 43% वर्तमान में, बिहार में राज्य की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में EBC के लिए 18 प्रतिशत, OBC के लिए 12 प्रतिशत, SC के लिए 16 प्रतिशत, ST के लिए 1 प्रतिशत और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए 3 प्रतिशत आरक्षण है। राज्य विधानसभा में बीजेपी ने आरक्षण बिल में EWS का जिक्र न होने का मुद्दा उठाया। भाजपा ने कहा कि, ''EWS को लेकर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए।'' इस पर नितीश कुमार के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि, ''इसमें कोई भ्रम की बात नहीं है। विधेयक के नाम से स्पष्ट है कि यह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण में संशोधन के संबंध में है।'' जाति-आधारित कोटा में बढ़ोतरी के लिए नीतीश कुमार की वकालत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बिहार सरकार पर जाति सर्वेक्षण में मुसलमानों और यादवों की आबादी बढ़ाने का आरोप लगाने के दो दिन बाद आई है। सीधी पेशाब कांड के पीड़ित ने जॉइन की भीम आर्मी, कहा- 'CM शिवराज सिंह फोन उठाना बंद कर चुके हैं...' 'बिहार के 95 फीसद लोगों के पास दो-पहिया वाहन भी नहीं..', जातिगत जनगणना की रिपोर्ट में हैरान करने वाला दावा 'ना बेटी है, ना बहू है, इसलिए नीतीश करते हैं गंदी बातें', CM के बयान पर भड़की महिला विधायक