कोच्ची: केरल के वायनाड में भूस्खलन और बाढ़ के बाद राहत और बचाव कार्यों में किए गए खर्च को लेकर राज्य की वामपंथी सरकार आलोचनाओं के घेरे में आ गई है। सरकार पर आरोप है कि उसने एक शव के अंतिम संस्कार के लिए ₹75,000 खर्च किए, जबकि बचाव कर्मियों के लिए टॉर्च और रेनकोट जैसी चीजों पर ₹3 करोड़ खर्च कर दिए। यह जानकारी केरल सरकार द्वारा हाई कोर्ट में दाखिल एक दस्तावेज़ में दी गई है, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है। हालाँकि, मुख्यमंत्री कार्यालय ने इन आरोपों का खंडन किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केरल हाई कोर्ट में राज्य सरकार ने वायनाड में राहत और बचाव कार्यों से संबंधित एक हलफनामा पेश किया, जिसमें खर्च का ब्योरा दिया गया। इस हलफनामे में बताया गया कि आपदा में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार पर कुल ₹2.59 करोड़ का अनुमानित खर्च किया गया है। हालाँकि, अगर गौर किया जाए तो वायनाड त्रासदी में कुल 400 लोगों की मौत दर्ज की गई थी, जिनके अंतिम संस्कार पर 2.59 करोड़ रूपए खर्च हुए। यानी अनुमानतः एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार पर 65000 रूपए। वैसे सभी शवों का अंतिम संस्कार सरकार ने किया हो, ये भी जरूरी नहीं, वहां मृतकों के परिजन, कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं भी थीं। और अगर कोई भी दूसरा नहीं था, या शव लावारिस था, तो भी सरकार द्वारा सिर्फ उसके अंतिम संस्कार पर 65000 रूपए का खर्च दिखाना संदेह पैदा कर रहा है। इसके अलावा, राहत और बचाव कर्मियों को वहाँ लाने पर ₹4 करोड़ और उनके रहने-खाने पर ₹10 करोड़ का खर्च बताया गया है। भूस्खलन से बचाए गए 4,000 लोगों को कपड़े उपलब्ध कराने पर भी खर्च का उल्लेख है। इसके अलावा, दस्तावेज़ में बताया गया है कि प्रभावित इलाकों से पानी निकालने पर ₹3 करोड़, मेडिकल सहायता पर ₹8 करोड़ और वायुसेना के विमानों के लिए ₹17 करोड़ का अनुमानित खर्च दर्ज है। भूस्खलन में फंसे लोगों को निकालने के लिए ₹15 करोड़ का खर्च बताया गया है। इस हलफनामे के सामने आने के बाद राज्य की वामपंथी सरकार पर विपक्ष ने तीखा हमला बोला है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेन्द्रन ने आरोप लगाया कि सरकार ने आपदा को पैसा बनाने का जरिया बना लिया है और राहत कार्यों में हेराफेरी की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस त्रासदी का फायदा उठाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। इसी तरह, कांग्रेस और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने भी वामपंथी सरकार पर निशाना साधा। वहीं, मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए इस मामले में सफाई दी है। उनके अनुसार, हाई कोर्ट में पेश किया गया दस्तावेज़ संभावित खर्चों का अनुमान था, जिसे केंद्र सरकार से सहायता प्राप्त करने के लिए तैयार किया गया था। उन्होंने कहा कि यह वास्तविक खर्च का ब्योरा नहीं था और मीडिया से इस मामले में सुधार की अपील की। अमेरिका में दिखा राहुल गांधी के बयान का असर! मंदिर में खालिस्तानियों ने की तोड़फोड़ कलबुर्गी को स्मार्ट सिटी बनाएगी कर्नाटक सरकार, सीएम सिद्धारमैया ने किया ऐलान 50 साल हो गए, कब मिलेगी नागरिकता..? इंतज़ार में 50 हज़ार बांग्लादेशी हिन्दु