बिना पासपोर्ट-वीज़ा के तमिलनाडु में नौकरी कर रहे थे 7 बांग्लादेशी, सभी के पास भारत का आधार कार्ड

चेन्नई: बांग्लादेशी घुसपैठिए देश में कहाँ-कहाँ फैल चुके हैं, इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। आए दिन देश के विभिन्न राज्यों से इनकी गिरफ्तारी की खबरें सामने आती रहती हैं। लेकिन, इन्हे पकड़ना भी एक बड़ी चुनौती है, पहला तो ये खुद को बंगाली मुसलमान बताकर बच जाते हैं, दूसरा कई राजनेता अपना वोट बैंक बनाने के लिए इनके सर पर हाथ रख देते हैं। यूपी के समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक इरफ़ान सोलंकी इसी मामले में दोषी पाए जा चुके हैं, उन्होंने जानबूझकर बांग्लादेशियों के फर्जी भारतीय  दस्तावेज़ सत्यापित कर दिए थे और उन्हें कानपुर का निवासी बना दिया था। कुछ दिन पहले मुंबई से 4 बांग्लादेशी पकड़ाए थे, जो लोकसभा चुनाव में वोट भी डाल चुके थे। भारत में ऐसे कई बांग्लादेशी वोटर होने का अनुमान है, जो अपने रिश्तेदारों (समुदाय वालों), राजनेताओं और फर्जी कागज़ातों के पीछे छिप जाते हैं। सीएम ममता बनर्जी भी कह चुकी हैं कि, रोहिंग्या-बांग्लादेशियों को बाहर नहीं जाने दूंगी। उनके अलावा अन्य विपक्षी दल भी NRC का विरोध करते हैं, जो घुसपैठियों की पहचान करने का एक जरिया है। यही लोग CAA का भी विरोध करते हैं, जो पीड़ितों को कानूनी रूप से नागरिकता देने का रास्ता है। यानी पीड़ितों को भारत आने नहीं देंगे और घुसपैठियों को बाहर जाने नहीं देंगे। हालाँकि, कई जगह पुलिस अपनी कार्रवाई कर रही है।  

अब पुलिस ने तमिलनाडु के इरोड से 7 बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया है। ये सभी बिना किसी वैध दस्तावेज़ के गैर-कानूनी रूप से वहाँ रह रहे थे। पुलिस यह भी पता लगाने का प्रयास कर रही है कि इनके अलावा और कौन-कौन से घुसपैठिए यहाँ छिपे हुए हैं। इरोड जिले की पुलिस ने बुधवार (19 जून 2024) को जिन 7 बांग्लादेशियों को अरेस्ट किया है, वे पेरुंदुरई के पणिक्कम्पालयम में रह रहे थे। पुलिस इनके आपराधिक रिकॉर्ड की भी जाँच कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने 26 वर्षीय एस मोनिरा, 24 वर्षीय जे मेगामुथा, 33 वर्षीय एस शेखली, 26 वर्षीय बी जाहिद मिया, 35 वर्षीय एम अनारुल इस्लाम, 40 वर्षीय एम मोनिरुल खाजी और 45 वर्षीय एन मेटून को गिरफ्तार किया है।

पुलिस ने जानकारी दी है कि, “पेरुंदुरई में SIPCOT कॉम्प्लेक्स में कई उत्तर भारतीय श्रमिक काम कर रहे हैं। पेरुंदुरई पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि इनमें कई बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल हैं और वे बगैर उचित कागज़ातों के यहाँ रह रहे हैं और काम कर रहे हैं। मंगलवार (18 जून 2024) को हमने पणिक्कम्पलायम इलाके में दबिश दी, जहाँ कई उत्तर भारतीय मजदूर रहते हैं।” पुलिस ने बताया कि, “शुरूआती जाँच के आधार पर पुलिस ने दो महिलाओं सहित 13 लोगों को उचित दस्तावेजों के बिना क्षेत्र में रहने के शक में हिरासत में लिया। इसके बाद सभी को पुलिस स्टेशन लाया गया। जाँच में पता कि मोनिरा और मेगामुथा सहित 7 लोग उचित दस्तावेजों के बिना भारत में अवैध रूप से रह रहे थे। छानबीन के बाद बुधवार को सभी सातों को अरेस्ट कर लिया गया।”

तमिलनाडु पुलिस ने यह भी बताया कि इन 13 लोगों में 6 लोगों ने कहा कि उनके पास भारत में रहने और काम करने के लिए सही दस्तावेज हैं। उन्होंने दस्तावेज जमा करने के लिए थोड़ी मोहलत माँगी है। पुलिस का कहना है कि यदि वे दस्तावेज जमा नहीं करते हैं तो उन्हें भी अरेस्ट कर लिया जाएगा। वहीं, कुछ बांग्लादेशियों के पास भारत का आधार कार्ड भी बरामद हुआ है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि, “गिरफ्तार किए गए लोग पेरुंदुरई में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर रहे थे। उनके पास पासपोर्ट, वीजा आदि जैसे जरूरी कागज़ात नहीं थे। इस कारण उन्हें अरेस्ट किया गया है। ये लोग दिहाड़ी मजदूरी करते थे। कुछ के पास भारत द्वारा जारी आधार कार्ड भी मिले हैं, जिन्हें जब्त कर लिया गया। आगे की पड़ताल जारी है।”

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