कोरोना वायरस प्रकृति के लिए वरदान साबित हो रही है. वही, दशकों से नदियों को साफ करने की विफल मुहिम बिना किसी प्रयास के रंग लाती दिख रही है. धरती पर यह सुखद बदलाव दुखद परिस्थितियों के चलते हुआ है. पर्यावरणविद् मानते हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण ने पूरी दुनिया को ठहरा दिया है. सारी गतिविधियां ठप हैं तो प्रदूषण से लगातार राहत मिलती दिख रही है. ये हालात कोरोना से लड़ने के अनुकूल बन रहे हैं. उनके इस भरोसे का आधुनिक विज्ञान भी समर्थन करता दिखता है. दिव्यांग बेटे ने नहीं पहना मास्क तो पिता ने ले ली उसकी जान इसके अलावा अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का शोध बताता है कि अगर कोई गंभीर रूप से वायु प्रदूषित इलाके में रहता है और वह कोरोना से संक्रमित होता है तो उसके मौत की आशंका में 15 फीसद इजाफा हो जाता है. प्रकृतिविदों का मानना है कि प्रकृति अपना स्वयं इलाज कर रही है. जब ये अपने को स्वस्थ कर लेगी तो इंसानों को भी स्वस्थ रखने में सक्षम होगी. हालांकि वे आशंका भी जताते हैं कि जैसे कोरोना का प्रकोप कम हुआ, फिर से हम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करके उसे दिसंबर 2019 से पहले वाली दशा में पहुंचा देंगे. कोरोना भी कहीं न कहीं हमारी विलासी जीवनशैली का ही साइड इफेक्ट है. हमने जैव विविधता को मिटाने के क्रम में खाद्य-अखाद्य के बीच का फर्क मिटा दिया. चिदंबरम का केंद्र पर हमला, कहा- गऱीबों के खाते में पैसे क्यों नहीं डाल रही सरकार ? आपकी जानकारी के लिए बता दे कि चमगादड़ और पैंगोंलिन से जीवों के भक्षण वाली तामसी प्रवृत्ति ने कोरोना के रूप में पृथ्वी के साथ इंसानी सभ्यता का भी बेड़ा गर्क करने का काम किया है. आलम यह हो चुका है कि इबोला, निपाह जैसी 70 फीसद महामारियों का स्नोत वन्यजीव बन रहे हैं. हमने उनकी सीमा में दखलंदाजी की और नतीजा सामने आया. आगामी 22 अप्रैल को हम 50वां धरती दिवस मनाने जा रहे हैं. ऐसे में इस दिवस को मनाने की सार्थकता इसी में है कि हम सब संकल्प लें कि कुदरत के कोरोना रूपी कहर को रोकने के लिए प्रकृति को उसके असली रूप में संवारने का हर जतन करेंगे. धरती के श्रृंगार उसकी जैव विविधता को बरकरार रखेंगे. नहीं करेंगे मुस्लिमों का इलाज ! अस्पताल ने अख़बार में दिया विज्ञापन अब देश में नहीं होगी दवाओं की कमी, केंद्र सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम शर्मनाक वारदात: बेटे ने ली अपनी बुजुर्ग माँ की जान, वजह जान आप भी हो जाएंगे हैरान