आजादी के 70 साल बाद आई है इस गांव में बिजली

मुनस्यारी. भारत-चीन सीमा से करीब दस किलोमीटर दूर देश के अंतिम गांव बुई पातो के लोगों ने आजादी के 70 साल बाद लाइट की शक्ल देखी है. ये ख़ुशी यहाँ के लोगों को दिवाली वाले दिन मिली. जिससे इनकी दिवाली रोशन हो गई. लाइट के आते ही 460 से अधिक लोगों की दिवाली इसबार खास हो गई. इस मौके पर गांव वालो ने एक दूसरे को बढ़ी दी. 

आपको बात दें कि यहां के लोग अब तक लैंप और छिलके की रोशनी में जिंदगी काटने को मजबूर थे. लेकिन अब लैंप की जगह हर घर में बल्ब जगमगाने लगे. योजना के तहत बीपीएल परिवारों को निशुल्क कनेक्शन दिया गया है. ग्रामीणों ने मिलकर अतिशबाजी की और पूरा गांव रंगमय हो गया. ग्रामीण मानते हैं कि गांव में बिजली आ गई है तो अब युवाओं में पलायन कम होगा और गांव में रोजगार के साधन भी मिलेंगे.

गौरतलब है कि  उत्तराखंड के मुनस्यारी तहसील मुख्यालय से लगभग 14 किमी दूर बुई और पातो के कई लोग बिजली से भी अनजान थे. इसका कारण गांव में बिजली का न होना था. लैंप और छिलके की रोशनी में ही ये लोग रोशनी का त्योहार दिवाली भी मनाते थे। लेकिन, इस बार की दिवाली बुई और पातो के लिए खास रही. धारचूला के विधायक हरीश धामी ने कहा कि मेरा सपना सीमांत गांव बुई पातो में बिजली और सड़क पहुंचाना था. बिजली का सपना साकार हो गया. 

 

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