दुनिया में बीते कुछ दिनों से सियासी हलचल बेहद तेज हो गई है. वही इस बीच नेपाल की ओली सरकार चीन के दबाव में आकर और अंदरूनी सियासत से बचने के लिए भारत के विरुद्ध निरंतर खराब माहौल उत्पन्न कर रही है. पहले कालापानी तनाव को हवा दी, अब टनकपुर सीमा पर नो मैंस लैंड पर नागरिकों के माध्यम से पौधरोपण की आड़ में तारबंदी करा दी. बता दे की यह सब तब हो रहा है, जबकि स्वंत्रत भारत और नेपाल के मध्य मित्रता संधि के नाम से चर्चित 31 जुलाई 1950 की हुई संधि को 70 वर्ष पूरे हो रहे हैं. अवकाश प्राप्त प्रोफेसर शेखर पाठक ने अपने बयान में बताया, नेपाल की ओली सरकार की तरफ से किए जा रहे कुत्सित कोशिशों से दोनों देशों के नागरिकों के संबंधों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, किन्तु जल्द ही हालात नहीं सुधरे, तो दरार आते देर भी नहीं लगेगी. साथ ही 1950 की संधि के तहत दोनों देशों की सीमा एक-दूसरे के नागरिकों के लिए खुली है, और उन्हें एक-दूसरे के देशों में बिना पाबन्दी रहने और कार्य करने की मंजूरी है. यह संधि बीते 70 वर्षो से दोनों देशों के मध्य एक गहरी दोस्ती का कारण रहा है. वहीं अवकाश प्राप्त मेजर बीएस रौतेला ने आगे बताया कि बीते साल 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी ने दो दिवसीय नेपाल यात्रा के चलते अपने समकक्ष रहे, सुशील कोइराला से हुई वार्ता के पश्चात् दोनों ही देशों ने पुरानी संधि की समीक्षा पर अनुमति व्यक्त की थी. साथ ही नेपाल की तरफ से संधि की समीक्षा के बिंदुओं पर सुझाव भी मांगे थे. वही भारत ओर नेपाल के रिश्तो में दरार आने से केवल नुक्सान ही होना है. उमा भारती बोलीं- कांग्रेस की वोट बैंक की भूख ने राम मंदिर मसला हल नहीं होने दिया पीएम मोदी और राष्ट्रपति कोविंद बोले- ''ईद मुबारक'', देशवासियों को दी बधाई तमिलनाडु में हुए कोरोना के सबसे अधिक टेस्ट