71 निर्दोषों की हत्या, लेकिन कातिल 1 भी नहीं ! राजस्थान की कांग्रेस सरकार से क्यों नाराज़ हैं मुस्लिम ? Video

जयपुर: राजस्थान में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, इस बीच कांग्रेस के लिए एक मुसीबत खड़ी होती नज़र आ रही है। दरअसल, कांग्रेस को कोर वोट बैंक माना जाने वाला मुस्लिम समुदाय एक बात से नाराज़ होकर पार्टी से दूर जाता दिख रहा है। यह मामला 2008 में सूबे की राजधानी जयपुर (Jaipur Serial Blast 2008) में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों से जुड़ा है, जब 8 धमाकों में 71 लोग मारे गए थे और 180 से अधिक घायल हो गए थे, जिनमे से कुछ लोगों के कुछ अंग बेकार हो चुके हैं। अब बात ये है कि, इस सीरियल ब्लास्ट केस में सुनवाई करते हुए जयपुर अदालत ने 4 आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। बाद में ये आरोपी किसी तरह की मदद पाकर राजस्थान हाई कोर्ट पहुँच गए और वहां से सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया गया।

इसके बाद हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राज्य की गहलोत सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुँच गई। इसको लेकर राज्य के कांग्रेस नेता अपनी ही सरकार पर नाराज़ होने लगे। कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं ने पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का काफिला रोक कर उनपर सवाल दागे। दरअसल, सचिन पायलट इन दिनों विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं। इसी क्रम में पायलट अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक के दौरे पर पहुंचे थे। 

इसी दौरान कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव मोहसिन रशीद ने सचिन पायलट से जयपुर ब्लास्ट के आरोपितों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय जाने को लेकर सवाल दागे। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में मोहसिन रशीद, पायलट से कह रहे हैं कि, “सर मुस्लिम खुश नहीं हैं इस शहर के।” वहीं, वीडियो में पायलट, मजहब की बात नहीं करने और कांग्रेस के लिए काम करते रहने की नसीहत देते नज़र आ रहे हैं।  मोहसिन रशीद कहते हैं कि,  सर आप जुनैद-नासिर पर एक स्टेटमेंट नहीं दिए। इस पर पायलट उन्हें कहते हैं तू मेरा भाई है, हम मिलकर काम करेंगे। रशीद ने आगे कहा कि, 'सर, उम्मीद थी न हमें, जिन लोगों को हाई कोर्ट (Jaipur Serial Blast 2008) ने बरी कर दिया। आपने उनके लिए कह दिया सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए।' इसके बाद पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट उसे गलतफहमी न फैलाने की बात कह कर कार में बैठ वहाँ से रवाना हो जाते हैं। यह वीडियो मोहसिन रशीद ने खुद ही अपने फेसबुक अकाउंट से पोस्ट किया है। 

 

इसके बाद भाजपा नेता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने भी इस वीडियो का एक क्लिप पोस्ट करते हुए लिखा है कि, ''2 दिन पहले सचिन पायलट टोंक गये थे, तो शान्तिप्रिय समुदाय के लोग उन्हें घेर कर पुछ रहे हैं की जब जयपुर बम धमाकों के आतंकियों को हाईकोर्ट ने रिहा कर दिया तो उसके खिलाफ आपकी सरकार सुप्रीम कोर्ट क्यों गई ?  कांग्रेस राज में इन लोगों की कितनी हिम्मत हो जाती है , जयपुर बम धमाकों में 72 लोग मारे गए थे 200 से ज्यादा घायल थे। तो सुनो, कांग्रेस, सरकार तो तुम्हारी ही है , उसने तो हाईकोर्ट में भी इनके खिलाफ पैरवी के लिए AAG नहीं भेजा था। सुप्रीम कोर्ट भी पहले नहीं गई , जिन लोगों ने इन आतंकियों की वजह से अपने परिवारजन खोये वो सुप्रीम कोर्ट गए , जन दबाव में कांग्रेस सरकार बाद में गई।''

बता दें कि, जयपुर ब्लास्ट (Jaipur Serial Blast 2008) के सभी 4 आरोपितों को लोअर कोर्ट ने वर्ष 2019 में फाँसी की सजा सुना दी थी। मगर, इसी साल मार्च में उच्च न्यायालय ने उस फैसले को पलटते हुए सभी आरोपितों को बाइज्जत बरी कर दिया। 71 बेकसूर लोगों की हत्या के मामले में किसी को भी सजा न मिलते देख, कई हिंदू संगठनों व भाजपा ने गहलोत सरकार पर कमजोर पैरवी करने का इल्जाम लगाया था। यहाँ तक कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा था कि राजस्थान सरकार के एडवोकेट जनरल (AG) के पास सुनवाई के लिए वक़्त ही नहीं था। इसलिए जयपुर ब्लास्ट (Jaipur Serial Blast 2008)  के आरोपित बरी हो गए। कुल मिलाकर देखें तो इस मामले में राजस्थान सरकार निरंतर आलोचना का सामना कर रही है।

यहाँ तक कि आरोपितों को बरी किए जाने के भी लगभग 40 दिन बाद राजस्थान सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जबकि, हाई कोर्ट का फैसला आने के लगभग 15 दिन बाद ही पीड़ित परिवार, शीर्ष अदालत पहुँचकर आरोपितों (Jaipur Serial Blast 2008) को बरी करने के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल कर चुका था। यानी पीड़ित परिवार, सरकार से काफी पहले न्याय की आस लगाए शीर्ष अदालत पहुँच गया। दरअसल, शुरुआत में इस बात की चर्चा थी कि राजस्थान सरकार, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी। लेकिन, निरंतर बढ़ते विरोध के बाद गहलोत सरकार को मजबूरन सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा था। हालाँकि, राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ कितनी मजबूती से पैरवी करती है और उन्हें सजा दिलवाने के लिए क्या तथ्य रखती है, ये देखने लायक होगा। क्योंकि, राजस्थान हाई कोर्ट से भी आरोपितों के बरी होने पर यही आरोप लगाए गए थे कि, राज्य सरकार की कमज़ोर पैरवी और पर्याप्त सबूत पेश न करने के चलते चारों आरोपित सजा से बच गए और 71 लोगों की हत्या के मामले में एक भी कातिल पुलिस ढूंढ नहीं पाई। 

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