नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) की मीटिंग शुरू हो चुकी है, जिसकी अध्यक्षता भारत के NSA अजित डोभाल कर रहे हैं. यह मीटिंग अफगानिस्तान की सत्ता पर आतंकी संगठन तालिबान के काबिज होने से पैदा हुईं चुनौतियों के मद्देनजर आयोजित की गई है. बैठक में अफगनिस्तान में मौजूद आतंकवाद को पड़ोसी देशों में फैलने से रोकने, खतरनाक अमेरिकी हथियारों को आतंकी संगठनों तक पहुंचने से रोकने और भारत या इन देशों में तालिबान के प्रभाव से संभावित रेडीकलाईजेशन को रोकने के क्या क्या उपाय हो सकते है इस पर व्यावहारिक रणनीति तैयार करने और उसे लागू करने पर फोकस किया गया. कई देशों के NSA की इस मीटिंग में भारत के अलावा उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, रूस, ईरान, कजाख्स्तान, किर्गिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी पहुंचे हैं. इस दौरान NSA अजीत डोभाल ने कहा कि, हम सब आज अफगानिस्तान से जुड़े मुद्दों पर बात करने के लिए जुटे हैं. आज इस मीटिंग की मेजबानी करना भारत के लिए गर्व की बात है. हम सब अफगानिस्तान में हो रही घटनाओं को ध्यान से देख रहे हैं. ये केवल अफगानिस्तान के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि उसके पड़ोसी मुल्कों और क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं. उन्होंने कहा, मुझे भरोसा है कि हमारे विचार-विमर्श प्रोडक्टिव व उपयोगी होंगे और अफगानिस्तान के लोगों की सहायता करने और हमारी सामूहिक सुरक्षा बढ़ाने में योगदान देंगे. वहीं, रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव ने कहा कि, बहुपक्षीय बैठकें अफगानिस्तान में विकास की स्थिति से संबंधित मुद्दों को समझने में सहायता करती हैं. चुनौतियों का सामना करें, देश से पैदा होने वाले खतरे और देश में काफी समय तक चलने वाली शांति स्थापित करें. वहीं, ताजिकिस्तान सुरक्षा परिषद के सचिव ने कहा कि, ताजिक-अफगान सरहदों पर स्थिति जटिल बनी हुई है. चूंकि अफगानिस्तान के साथ हमारी बॉर्डर की लंबाई ज्यादा है इसलिए, मौजूदा स्थिति में मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद का खतरा भी अधिक बढ़ गया है. उज्बेकिस्तान की सुरक्षा परिषद के सचिव विक्टर मखमुदोव ने कहा कि, अफगानिस्तान और इस क्षेत्र में पूरी तरह से शांति बहाल करने के लिए हमें एक सामूहिक निराकरण खोजना होगा. यह संयुक्त कोशिशों से ही संभव है. वहीं, ईरान राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव, रियर एडमिरल अली शामखानी ने कहा कि अफगानिस्तान में पलायन की समस्या बेहद गंभीर है, जिसका निराकरण एक समावेशी सरकार के गठन और सभी जातीय समूहों की भागीदारी के साथ आ सकता है. उम्मीद है कि इस समस्या का समाधान करने के लिए एक तंत्र बनेगा. आतंकी गतिविधियों में शामिल थे संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी, इथियोपिया ने हिरासत में लिया इंदौर: वैक्सीन की दोनों डोज लगवाए बिना इस दिन से नहीं मिलेगा दूध, राशन और मंदिर में प्रवेश भारत आज करेगा क्षेत्रीय एनएसए की मेजबानी, आठ देशों के शामिल होने की उम्मीद