आप सभी को बता दें कि इस बार 8 अक्टूबर को दशहरा है और उसके अगले दिन एकादशी. इस बार पापाकुंशा एकादशी है जो आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन करते हैं. वहीं एकादशी तिथि का व्रत जीवों के परम लक्ष्य, भगवद भक्ति, को प्राप्त करने में सहायक होता है और यह दिन श्री हरि की पूर्ण श्रद्धा से सेवा करने के लिए अति शुभकारी एवं फलदायक मानते हैं. कहते हैं इस दिन मनोवांछित फल पाने के लिए भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरुप की पूजा करनी चाहिए. वहीं हर एक एकादशी का अपना ही अलग महत्व माना जाता है लेकिन पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति का सभी जाने -अनजाने में किए गए पापों का प्रायश्चित होता है. कहा जाता है इस व्रत को करने से मन और आत्मा दोनों शुद्ध होते हैं और पापाकुंशा एकादशी एक हजार अश्वमेघ और सौ सूर्ययज्ञ करने के समान फल प्रदान करने वाली होती है. इसी के साथ पद्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति सुवर्ण, तिल, भूमि, गौ, अन्न, जल, जूते और छाते का दान करता है, उसे यमराज के दर्शन जल्द नहीं होते. तो आइए जानते हैं इस एकादशी की कथा. पापाकुंशा एकादशी की कथा - प्राचीन समय में विंध्य पर्वत पर एक क्रूर बहेलियां रहता था और उसने अपनी सारी जिंदगी हिंसा, लूटपाट, मद्यपान और गलत संगति में व्यतीत कर दी. जब उसका अंतिम समय आया तब यमराज के दूत बहेलिये को लेने आए और यमदूत ने बहेलिये से कहा कि कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन है हम तुम्हें कल लेने आएंगे. यह बात सुनकर बहेलिया बहुत भयभीत हो गया और महर्षि अंगिरा के आश्रम में पहुंचा और महर्षि अंगिरा के चरणों पर गिरकर प्रार्थना करने लगा. महर्षि अंगिरा ने बहेलिये से प्रसन्न होकर कहा कि तुम अगले दिन ही आने वाली आश्विन शुक्ल एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करना. बहेलिये ने महर्षि अंगिरा के बताए हुए विधान से विधि पूर्वक पापांकुशा एकादशी का व्रत करा और इस व्रत पूजन के बल से भगवान की कृपा से वह विष्णु लोक को गया. जब यमराज के यमदूत ने इस चमत्कार को देखा तो वह बहेलिया को बिना लिए ही यमलोक वापस लौट गए. इस कामदेव वशीकरण मंत्र से चुटकियों में पराई स्त्री को वश में कर सकते हैं आप बुरा समय आने से पहले इस तरह छिपकली देती है इशारा, हो जाए सावधान वरना... यहाँ जानिए अक्टूबर महीने के तीज, व्रत और त्यौहार