हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी लगातार मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि इस विधेयक के लागू होने से देश की 90 प्रतिशत मस्जिदों पर मुस्लिम समुदाय के पास स्वामित्व साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं हैं। ओवैसी का कहना है कि अगर यह विधेयक कानून बन जाता है, तो मस्जिदें, ईदगाहें और अन्य मजहबी स्थल मुस्लिमों से छिन जाएंगे। उन्होंने आगे एक और विवादित दावा करते हुए कहा कि एक बार जब मुसलमान किसी जगह को इबादतगाह के रूप में इस्तेमाल करने लग जाता है, तो वह संपत्ति हमेशा हमेशा के लिए मुस्लिमों की स्थायी संपत्ति हो जाती है, और अब मोदी सरकार इस प्रावधान को बदल रही है। ओवैसी ने तेलंगाना और उत्तर प्रदेश की वक्फ संपत्तियों का जिक्र करते हुए कहा कि अधिकांश वक्फ संपत्तियों के पास कोई पंजीकृत दस्तावेज नहीं हैं। उनके अनुसार, तेलंगाना में 33,000 वक्फ संपत्तियों में से 90 प्रतिशत के पास दस्तावेज नहीं हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में 1.21 लाख वक्फ संपत्तियों में से 1.12 लाख के पास भी ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है। ओवैसी ने पूछा कि अगर इन संपत्तियों का स्वामित्व छिन लिया गया, तो इन पर किसका कब्जा होगा? उन्होंने आगे कहा कि वक्फ संपत्तियों पर मुस्लिमों का कोई कानूनी अधिकार नहीं होगा और कोई भी उनका कब्जा ले सकता है। ओवैसी ने यहाँ तक कहा कि मक्का और मदीना जैसे पवित्र स्थलों का भी पंजीकरण दस्तावेज नहीं है, तो क्या उन पर भी सवाल उठाया जाएगा? उनका दावा है कि 300-400 साल पहले पंजीकरण दस्तावेज मौजूद नहीं थे, इसलिए मस्जिदें सरकार द्वारा छीन ली जाएंगी। ओवैसी ने बाबरी मस्जिद का मुद्दा भी उठाते हुए कहा कि अगर यह कानून बना, तो मुस्लिमों की 90 प्रतिशत मस्जिदें भी खो जाएंगी। साथ ही, उन्होंने RSS पर आरोप लगाया कि वे मस्जिदों की खुदाई कर मंदिरों को ढूँढने की माँग करेंगे। दूसरी तरफ, भाजपा के आईटी हेड अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर ओवैसी के बयानों का जवाब देते हुए कहा कि ओवैसी ने खुद स्वीकार किया कि उत्तर प्रदेश की अधिकांश वक्फ संपत्तियों के पास वैध दस्तावेज नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ ने कई संपत्तियों पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है, जिनमें से कई गरीब मुस्लिमों की हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या ओवैसी इसलिए वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं क्योंकि इन संपत्तियों पर मुस्लिम समुदाय के पास दस्तावेज नहीं हैं? अगर वक्फ बोर्ड ने अवैध रूप से संपत्ति पर कब्जा कर रखा है, तो उसे वापस नहीं लिया जाना चाहिए? यहाँ हिंदू-मुस्लिम का सवाल क्यों उठाया जा रहा है? सरकार को देश की संपत्तियों पर अवैध कब्जे के खिलाफ समान रूप से कार्रवाई करनी चाहिए, चाहे वह कोई भी हो। हाँ , ये सच है कि, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक बार कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुस्लिमों का है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वह गरीबों की जमीन पर कब्जा करके उन्हें बेघर करें। बंधकों की रिहाई, संवाद और संघर्षविराम..! पीएम मोदी ने बताया गाज़ा संकट का समाधान आकाश और समंदर का 'गार्जियन' खरीदेगा हिन्दुस्तान, अमेरिका के साथ भारत ने की खास डील आतिशी बनी दिल्ली की तीसरी-महिला CM, ये 2-महिलाएं पहले संभाल चुकी हैं राजधानी की कमान