नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार (12 जुलाई) को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज मामले में बड़ी राहत दी है। शीर्ष अदालत ने केजरीवाल को बड़ी बेंच की सुनवाई होने तक अंतरिम जमानत दे दी है। SC ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को एक बड़ी पीठ को भेज दिया है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने केजरीवाल की याचिका को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया। जिसमे इस बात पर फैसला होगा कि क्या गिरफ्तारी की आवश्यकता को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 19 की एक शर्त के रूप में पढ़ा जाना चाहिए। हालांकि केजरीवाल अभी जेल में ही रहेंगे, क्योंकि उन्हें 25 जून को इसी शराब घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत CBI ने भी गिरफ्तार किया था। फ़िलहाल उन्हें ED मामले में अंतरिम जमानत मिली है, CBI का केस हाई कोर्ट में लंबित है। गौर करने वाली बात ये भी है कि, केजरीवाल की याचिका पर हर एक-दो दिन में लगातार सुनवाई हो रही है। न्यायमूर्ति खन्ना ने अपने फैसले में कहा कि गिरफ्तारी के लिए "विश्वास करने के कारण" PMLA की धारा 19 के मापदंडों से मेल खाते हैं, जो ED अधिकारियों को गिरफ्तारी का अधिकार देता है। उन्होंने आगे कहा कि, हालांकि, ऐसा कहने के बाद, हमने एक अतिरिक्त आधार उठाया है जो गिरफ्तारी की आवश्यकता और अनिवार्यता से संबंधित है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि, हमें लगा कि गिरफ्तारी की आवश्यकता और अनिवार्यता के आधार को धारा 19 में पढ़ा जाना चाहिए या नहीं, इसलिए हमने उन सवालों के जवाब के लिए केस को बड़ी बेंच के पास भेज दिया है। तब तक के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि, हम जानते हैं कि केजरीवाल एक निर्वाचित नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, यह पद महत्वपूर्ण और प्रभावशाली है। हमने आरोपों का उल्लेख किया है। हालांकि हम कोई निर्देश नहीं देते हैं, क्योंकि हमें संदेह है कि क्या कोई न्यायालय किसी निर्वाचित नेता को मुख्यमंत्री या मंत्री के रूप में पद छोड़ने या काम न करने का निर्देश दे सकता है, हम इस पर निर्णय लेने का काम अरविंद केजरीवाल पर छोड़ते हैं। अगर बड़ी बेंच चाहे तो ऐसे मामलों में लगाई जा सकने वाली शर्तें तय कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि, इस फैसले में की गई टिप्पणियों को (केजरीवाल पर लगे) आरोपों के गुण-दोष के आधार पर निष्कर्ष नहीं माना जा सकता। नियमित जमानत के लिए आवेदन पर उसके गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जा सकता है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि बड़ी पीठ अंतरिम जमानत में संशोधन कर सकती है। स्पाइसजेट की महिला कर्मचारी ने भरे एयरपोर्ट पर CISF जवान को मारा थप्पड़, Video आया सामने महाराष्ट्र में विधान परिषद चुनाव के बीच होटल पॉलिटिक्स शुरू, अपने-अपने विधायकों की घेराबंदी में लगी पार्टियां 'भारत का सम्मान है, लेकिन वो हमें हल्के में ना ले..', मोदी-पुतिन की दोस्ती देखकर क्यों भड़का अमेरिका ?