दिल्ली : आम आदमी पार्टी में मचे हड़कप पर मरहम लगाने की कवायद जारी है. इसी बीच राष्ट्रपति के पास याचिका दाखिल करने वाले वकील प्रशांत पटेल से जब ये पूछा गया कि यह विचार उनके मन में कैसे आया तो उन्होंने कहा 'कि दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एस के शर्मा द्वारा लिखी गई किताब ‘दिल्ली सरकार की शक्तियां और सीमाएं' में इस विषय पर एक अध्याय था.' पटेल कहा, ‘मैंने लाभ का पद के संबंध में याचिका दायर की थी और इसे जुलाई 2015 में स्वीकार किया गया था. ऐसा नहीं है कि बीजेपी और कांग्रेस ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति नहीं की. वो नियुक्तियां भी अवैध थीं, लेकिन उसपर किसी ने आपत्ति नहीं की.’ पटेल ने इस आरोप को खारिज कर दिया कि चुनाव आयोग ने AAP विधायकों का पक्ष सुनने के लिये उन्हें मौका नहीं दिया. जुलाई 2016 से मार्च 2017 के बीच 11 सुनवाई हुई और प्रत्येक सुनवाई 2-3 घंटे चली.’ पटेल ने कहा कि इंदिरा जयसिंह जैसी वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व किया और कई अन्य शीर्ष वकीलों ने बीजेपी और कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया. गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के खिलाफ लाभ के पद पर होने को लेकर महामहिम राष्ट्रपति के समक्ष अयोग्य घोषित कर सदस्यता भंग करने की सिफारिश की गई है. सरकार की साजिश में चुनाव आयोग भी शामिल - मनीष सिसोदिया फैसले का 'आप' पर असर, कुर्सी पर बीजेपी-कांग्रेस की नज़र अंत में जीत सच्चाई की होती है : अरविन्द केजरीवाल