यवतमाल: महाराष्ट्र में फिर एक अन्नदाता ने कर्ज और लाचारी से तंग आकर मौत को गले लगा लिया, उनके पास से एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें उन्होंने मोदी सरकार को इसका जिम्मेदार ठहराया है. यवतमाल के राजुरवडी गांव में, जहां किसान सूखा, कर्ज और मौसम परिवर्तन जैसी अनेक परेशानियों से जूझ रहे हैं, वहीं एक 50 वार्शिव किसान शंकर भाऊराव छायरे ने मंगलवार को आत्महत्या कर ली. स्थानीय सूत्रों के अनुसार निराश हो चुके शंकर भाऊराव मंगलवार की सुबह अपने खेत पर गए और वहां उन्होंने एक पेड़ से रस्सी के सहारे लटककर आत्महत्या करने की कोशिश की लेकिन रस्सी टूट गई, जिसके बाद उन्होंने जहर पी लिया. कुछ लोगों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. मामले की जांच कर रही पुलिस को भाऊराव के पास से 2 पन्नों का सुसाइड नोट मिला है, जिसमे उन्होंने लिखा है कि उन्होंने कोऑपरेटिव सोसाइटी से 90 हज़ार का और एक प्राइवेट पार्टी से 30 हजार का लोन लेकर अपनी 9 एकड़ जमीन में कपास की खेती की थी. लेकिन संक्रमण के कारण उनकी फसल बर्बाद हो गई और वो लोन नहीं चुका पाए. इस नोट में भाऊराव ने बताया कि उन्होंने कई सरकारी अधिकारियों, सांसदों, विधायकों, राज्य मंत्रियों से मदद मांगी लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की. आखिरी में उन्होंने लिखा कि मुझपर कर्ज का बहुत अधिक बोझ है, इसलिए मैं आत्महत्या कर रहा हूँ, उन्होंने अपने पत्र में इसके लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार बताया है. इस घटना के 12 घंटे बाद परिवार ने वसंतराव नाइक मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल से अंतिम संस्कार के लिए मृतक का शव ले जाने से मना कर दिया. उनकी मांग थी कि या तो प्रधानमंत्री मोदी उनसे आकर मिलें और उनकी परेशानियों को समझे या फिर राज्य सरकार पूरा मुआवजा दे, तभी वो शव ले जाएंगे. वहीं वसंतराव नाइक शेती स्वावलंबन मिशन के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने मृतक किसान के परिवार को 10 लाख रु मुआवज़ा और किसान के बच्चों को नौकरी दिलवाने का आश्वासन दिया है. किसान क्रांति सम्मेलन, हार्दिक सुनेंगे किसानों की समस्या हिमाचल: हजारों किसानों ने किया विधानसभा का घेराव उत्तर प्रदेश में किसान जल समाधी को मजबूर