महाराष्ट्र के जिले नागपुर में महामारी के संक्रमण की वजह से जान गंवाने वाले 74 साल के बुजुर्ग को महानगर पालिका की भूमि में दफन किया गया है. दरअसल स्थानीय ईसाई श्मशान ने यह कहते हुए बॉडी को दफन करने की अनुमित देने से मना कर दिया था, कि वह दाह संस्कार के बाद केवल उनकी अस्थियों को ही भूमि में दफनाने की अनुमति देगा. भगवान श्री कृष्ण और गौ माता का संबंध, जानिए इस अद्भुत रहस्य के बारे में ? बता दे कि मृतक के पुत्र ने कहा कि उनके पिता का नागपुर के एक सरकारी चिकित्सालय में एक अगस्त से उपचार चल रहा था, और रविवार प्रातह उनकी मृत्यु हो गई. वह स्थानीय प्रोटेस्टेंट चर्च के सदस्य भी थे. उन्होंने बताया कि परिवार ने जरीपटका ईसाई कब्रिस्तान से उनको दफनाने के लिए संपर्क किया. कब्रिस्तान की समिति के एक मेंबर्स ने उनसे बताया कि कोरोना महामारी फैली हुई है, और कब्रिस्तान कुछ रिहायशी परिसरों के करीब है. जहां उनकी अस्थियां ही दफन की जा सकती हैं. तमिलनाडु में चार्जिंग पर लगे फ़ोन से बात कर रही थी महिला, 2 बच्चों सहित गई जान उन्होंने कहा कि, हम चाहते थे कि बॉडी को दाह संस्कार किए बिना पारंपरिक तरीके से जमीन दोज किया जाए. इसके लिए हमें अनुमति नहीं मिली. वे नहीं चाहते थे कि जरीपटका में कोरोना के कारण मरने वालों को दफन किया जाए. देर हो रही थी और नागपुर महानगर पालिका (एनएमसी) के अधिकारी मृतक के अंतिम संस्कार के लिए परिवार की मंजूरी का इंतजार कर रहे थे. उनके बेटे ने बताया, हमें निर्णय करना था तथा वे (एनएमसी) हमें मनकापुर कब्रिस्तान परिसर में दफानाने के लिए स्थान देना चाहते थे. मेरे पिता को वहां ईसाई रिति रिवाज के अनुसार दफन कर दिया गया. वनडे में इन 6 गेंदबाजों ने लिए सबसे अधिक विकेट 3 साल बाद एपल वॉच पर वापस आएगा गूगल मैप्स, मिलेगा नया अपडेट जरूर अपनाए चाणक्य नीति की यह बातें, जीवन होगा सफल