लखनऊ: बढ़ते प्रदुषण और कटते पेड़ों के कारण वायुमंडल में ऑक्सीजन स्तर बहुत कम हो चुका है, हालत ये हैं कि अब साँस लेने वाली हवा भी ज़हर बन गई है. सेंटर फॉर एनवॉयरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) और आइआइटी-दिल्ली द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले दो दशकों में उत्तर प्रदेश में जहरीली हवा से मरने वालों की संख्या बढ़ गई है. रिपोर्ट 'जानिए आप कैसी हवा में सांस ले रहे हैं' में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दूषित हवा से होने वाली बीमारियां हर दिन 11 जानें ले रही है. सालाना तौर पर देखा जाए तो सर्वाधिक 4173 मौतें कानपूर में और लखनऊ में 4127 लोगों की मृत्यु दूषित हवा से होने वाली बिमारियों की वजह से हो जाती है. सीड की सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर अंकिता ज्योति ने कहा कि वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव दिनोंदिन बढ़ रहा है, लंबे समय तक प्रदूषित वातावरण में रहने वालों में बीमारियां बढ़ रही हैं, जिससे प्रति लाख आबादी पर 150-300 व्यक्ति असमय मौत के शिकार हो रहे हैं. आइआइटी दिल्ली और मुंबई द्वारा भी इस संदर्भ में राज्य के जिला अस्पतालों से एकत्र किए गए आंकड़ों के मुताबिक असमय मृत्यु-दर की संख्या और भी बढ़ सकती है, कारण यह है कि बहुत सी मौतें रजिस्टर ही नहीं होती हैं. यही नहीं, कई बार बीमारी की पहचान ही नहीं हो पाती है. आपको बता दें कि वायु प्रदुषण से कई बीमारियां होती है जिनमे मुख्य रूप से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), इश्चिमिक हार्ट डिजीज (आइएचडी), स्ट्रोक, लंग कैंसर व एक्यूट लोअर रेस्पिरेट्री इंफेक्शन की बीमारियां शामिल है, जिसके चलते लोग असमय ही काल के गाल में समा जाते है. World Environment Day : प्रकृति हमें बहुत कुछ सिखाती है अगर हम सीखना चाहे तो World Environment Day: खाना बर्बाद करने से पड़ रहा है प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव विश्व पर्यावरण दिवस: इन तीन बातों का ध्यान रखेंगे तो पर्यावरण प्रदूषित नहीं होगा