प्रभु की नौ शक्तियां...जो करती है भाग्य का निर्माण

ईश्वर की शक्तियों में चंद्र, सूर्य, मंगल, बुध, गुरू, शुक्र, शनि, राहू और केतू शामिल मानी गई है। ये सभी शक्तियां जहां मनुष्य को उसके पूर्व कर्मानुसार उसका भाग्य निर्माण कर उसे सुख दुःख देकर शुद्ध तो करते है ही वहीं अच्छे बुरे कर्मों का भी फल देते है। इसलिए मनुष्य को यह चाहिए कि वह बुरे कर्मों को करने से बचे और हमेशा ही अच्छे कर्म करने की ओर प्रेरित रहे।

भाग्य के साथ कर्म तो करना ही चाहिए, यह ज्योतिष शास्त्र भी कहता है। भाग्य का निर्माण वैसे तो ईश्वर के हाथ में ही है लेकिन प्रभु की जो शक्तियां वे भी सर्वोच्च ही है। इस संसार के संचालन हेतु ईश्वर ने अपने आपको अनंत शक्तियों के रूप में विभाजित किया है। मनुष्य को ईश्वर की नौ शक्तियों का सम्मान करने की जरूरत है तथा कर्म करने की ओर अग्रसर रहने वाले व्यक्ति को ही ईश्वर मदद करते है। जो स्वयं की मदद करने के साथ दूसरों की मदद करता हे उसके साथ ईश्वर भी रहते है, इस बात की गांठ बांधकर मनुष्य मात्र को रहना होगा।

आज का कर्म ही कल का भविष्य है

प्रति दिन करें दुर्गा चालीसा का पाठ

 

 

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