शुभ कार्यों को शुरू करने के लिये मुर्हूत देखा जाता है और शुभ मुर्हूत में ही किसी शुभ कार्यों को शुरू करना चाहिये ताकि किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। ज्योतिष शास्त्र में वैसे तो अन्य कई तरह के योगों का उल्लेख मिलता है लेकिन सर्वार्थ सिद्धी योग में शुरू किया गया कार्य श्रेष्ठ ही होता है। अमृत सिद्धी योग- सर्वार्थ सिद्धी योग तो महत्वपूर्ण माना ही गया है वहीं अमृत सिद्धी योग तो सर्वार्थ सिद्धी योग से भी बहुत अच्छा होता है। मान्यता है कि अमृत सिद्धी योग में प्रारंभ किये गये कार्य का कभी नाश नहीं होता है और वह लंबे समय तक कायम रहता है। इसी तरह रवि योग में भी शुरू किये गये कार्य शुभ फल ही प्रदान करते है। गुरूवार और रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र कहे जाते है। रविवार के दिन आने वाला रवि पुष्य नक्षत्र और गुरूवार के दिन आने वाला गुरू पुष्य नक्षत्र कहा जाता है। इन नक्षत्रों में खरीदी का विशेष महत्व होता है। इन नक्षत्रों में खरीदी गई नवीन वस्तुएं शुभ फल प्रदान करती है वहीं इन नक्षत्र योगों में आर्थिक लाभ के कार्यों को भी शुरू करना श्रेष्ठकर होता है। वैसे रविवार पुष्य नक्षत्र की अपेक्षा गुरू पुष्य नक्षत्र में ही आर्थिक लाभ अर्थात व्यापार व्यवसाय के कार्यों का शुभारंभ करना हितकर माना जाता है। आनंद उत्सव में बिखरा उल्लास, शिव ने कहा-खुश रहो