कटाक्ष: तुम आधार—आधार करते हो, आधार पर क्यो मरते हो?

बैंक में अपना आधार लिंक कराओ, सिम चाहिए, तो आधार लाओ? घरेलू गैस के लिए आधार, तो ट्रेन के टिकिट के लिए भी आधार। हर जगह आधार, बस आधार, लेकिन ये आधार—आधार करते आधार ही आधारहीन हो गया। सुरक्षित मेरा आधार, मेरा अधिकार अब न तो सुरक्षित  है और न ही आपका आधार। ट्राई चेयरमैन ने आधार नंबर बताया, तो किसी ने उनके बैंक में एक रुपया डालकर बता दिया कि यह कितना सुरक्षित है? अब यूआईडीएआई ने कहा कि आधार को न करें सार्वजनिक यानी ​की सुरक्षा की कोई  गारंटी नहीं, तो फिर भई ये बताओं की आखिर आधार लिंक का क्या? जो आधार—आधार चिल्ला रहे हो, उसका क्या? हमारे  पड़ोस में एक लड़का रहता है, नाम है आधार। जब से आधार चला लोग उसमें भरोसा देखने लगे। कोई बात कहनी हो, तो उसे बुलाते और कह देते, लेकिन थोड़ी ही देर में बात यहां से  वहां पहुंच जाती, सब कहने लगे कि यह यथा नाम तथा गुण नहीं है।  आधार सुरक्षित है और यह  बिल्कुल असुरिक्षत। कल वो मेरे पास आया और बोला कि मैं बिल्कुल यथा नाम तथा गुण हूं। बिल्कुल आधार की तरह। वो भी जानकारी लीक कर देता है और मैं भी, तो हुआ न आधार की तरह। मैंने कहा, बात तो सही है। तो बोला और करो आधार सुरक्षित आधार मेरा। भई ये है आधार, जिसका नहीं है कोई आधार। 

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