अहमदाबाद: गुजरात में आम आदमी पार्टी (AAP) के बड़े नेता और नेशनल ज्वाइंट सेक्रेटरी गोपाल इटालिया की एक पब्लिक मीटिंग में ऐसा नाटकीय दृश्य देखने को मिला, जिसने सभी को चौंका दिया। सूरत में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान गोपाल इटालिया ने अपनी बेल्ट निकाली और भाषण देते-देते खुद को कोड़े मारने लगे। इस घटना ने न केवल वहां मौजूद लोगों को हैरान किया, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा छेड़ दी। इटालिया ने यह कदम अमरेली की एक पाटीदार महिला को न्याय दिलाने में अपनी असफलता के लिए माफी मांगने के दौरान उठाया। यह महिला बीजेपी विधायक कौशिक वेकारिया के खिलाफ कथित रूप से जाली पत्र प्रसारित करने के मामले में गिरफ्तार हुई थी। गोपाल इटालिया और अन्य पाटीदार नेताओं ने महिला की गिरफ्तारी और अमरेली पुलिस द्वारा उससे जुड़ी “क्राइम सीन रिक्रिएशन” प्रक्रिया का विरोध किया था। पब्लिक मीटिंग के दौरान इटालिया ने न केवल इस मामले के लिए माफी मांगी, बल्कि गुजरात में शराब त्रासदी, मोरबी पुल हादसा, हरनी नाव दुर्घटना और पेपर लीक जैसे मुद्दों पर न्याय दिलाने में विफल रहने के लिए भी खेद व्यक्त किया। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और सरकारी अधिकारियों के बीच मिलीभगत के चलते पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया। हालांकि, जैसे ही इटालिया ने अपनी बेल्ट से खुद को कोड़े मारने शुरू किए, सूरत नगर निगम में विपक्ष के पूर्व नेता धर्मेश भंडेरी ने तुरंत हस्तक्षेप किया और उनकी बेल्ट छीन ली। गोपाल इटालिया की इस हरकत ने सवाल खड़े कर दिए हैं। आलोचकों का कहना है कि यह सब आम आदमी पार्टी के नेताओं द्वारा सुर्खियां बटोरने की एक सोची-समझी रणनीति हो सकती है। इससे पहले, AAP के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को सार्वजनिक रूप से थप्पड़ मारे जाने की घटना भी काफी चर्चा में रही थी। उस वक्त भी पार्टी ने इसे बीजेपी की साजिश बताया था, लेकिन कई लोगों ने इसे एक सहानुभूति जुटाने की कोशिश करार दिया था। इटालिया के इस कदम को लेकर भी विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे नाटकीय घटनाक्रम आम आदमी पार्टी की रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं, जिससे वे खुद को "पीड़ित" दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। गोपाल इटालिया ने अपने भाषण में बीजेपी पर जमकर निशाना साधा और दावा किया कि सत्ता में बैठे नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत की वजह से गुजरात के आम नागरिक न्याय से वंचित रह रहे हैं। उन्होंने इन घटनाओं के पीड़ित परिवारों के प्रति सहानुभूति जताई और अपनी पार्टी की नाकामी के लिए माफी मांगी। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह घटना सहानुभूति पाने और सुर्खियां बटोरने की एक चाल हो सकती है। सच्चाई क्या है, यह तो केवल आम आदमी पार्टी के नेता ही बता सकते हैं। लेकिन एक बात साफ है कि इस घटना ने एक बार फिर आम आदमी पार्टी के नेताओं की रणनीतियों और उनकी राजनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह जनता के लिए उनकी सच्ची चिंता थी, या फिर महज एक राजनीतिक स्टंट? इस पर बहस अभी जारी है। पाकिस्तान में जर्मन डिप्लोमेट की रहस्यमयी मौत, नाक-मुंह से निकल रहा खून, राजधानी में मिली लाश अयोध्या में फिर होगा चुनावी संग्राम, मिल्कीपुर सीट पर इस तारीख को है मतदान दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का हुआ ऐलान, जानिए किस दिन होगा मतदान