अब होने लगी खराब

जल में रहकर भी जीवन प्यासा रहा पानी समन्दर का था तो उदासा रहा . जल के लिए भी जाना पड़ता है बाजार बाजार में हर जगह मिलता झाँसा रहा . इंसान के यत्न से पत्थर बना भगवान मंदिर ऊर्वर दिमाग द्वाराा तराशा रहा . जमाने से जिन्दगी रही है रहस्यमयी कुछ रहस्यों का तो होता खुलासा रहा . इंसाँ उठने की है सीमा, गिरने की नही दुनिया का हाल देख दिल रुआँसा रहा . लोगों की नीयत अब होने लगी खराब सबके जीवन में बचा सिर्फ तमाशा रहा . अन्दर से आदमी हो गया है खोखला बाहर से देखने में तो अच्छा खासा रहा . तन शिथिल हो जाता है समय के संग बदन में झुर्रिया है पर मन सुवासा रहा . मन से नियंत्रित होती तन की क्रियाएँ हारा मन से, उसे दिखता हताशा रहा . जीवन की ताजगी हो रही है बहुत दूर जीवन की इच्छा में दिखता बासा रहा . तम दूर कर सर्वत्र प्रकाश करो 'प्रकाश' अपने जीवन में तो हमेशा उजासा रहा

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