आज है कूर्म जयंती, जानिए क्यों लिया था भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार

आप सभी को बता दें कि इस साल कूर्म जयंती 18 मई को मनाई जा रही है और कूर्म जयंती वैशाख मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है. जी दरअसल पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु कच्छप (कछुआ) अवतार लेकर प्रकट हुए थे और इसी के साथ ही समुद्र मंथन के वक्त अपनी पीठ पर मंदार पर्वत को उठाकर रखा था. आइए जानते हैं इसके पीछे की कथा.

इसकी कथा इस प्रकार है- एक बार महर्षि दुर्वासा ने देवताओं के राजा इंद्र को श्राप देकर श्रीहीन कर दिया. इंद्र जब भगवान विष्णु के पास गए तो उन्होंने समुद्र मंथन करने के लिए कहा. तब इंद्र भगवान विष्णु के कहे अनुसार दैत्यों व देवताओं के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने के लिए तैयार हो गए. समुद्र मंथन करने के लिए मंदराचल पर्वत को मथानी एवं नागराज वासुकि को नेती बनाया गया. देवताओं और दैत्यों ने अपना मतभेद भुलाकर मंदराचल को उखाड़ा और उसे समुद्र की ओर ले चले, लेकिन वे उसे अधिक दूर तक नहीं ले जा सके. तब भगवान विष्णु ने मंदराचल को समुद्र तट पर रख दिया.

देवता और दैत्यों ने मंदराचल को समुद्र में डालकर नागराज वासुकि को नेती बनाया. किंतु मंदराचल के नीचे कोई आधार नहीं होने के कारण वह समुद्र में डूबने लगा. यह देखकर भगवान विष्णु विशाल कूर्म (कछुए) का रूप धारण कर समुद्र में मंदराचल के आधार बन गए. भगवान कूर्म की विशाल पीठ पर मंदराचल तेजी से घूमने लगा और इस प्रकार समुद्र मंथन संपन्न हुआ.

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