नई दिल्ली: शुक्रवार, 9 फरवरी की रात जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और वामपंथी संगठनों से जुड़े छात्रों के बीच हिंसक झड़प हो गई। यह टकराव विश्वविद्यालय की वार्षिक आम सभा (यूजीबीएम) के दौरान हुआ, जो आमतौर पर छात्र निकाय चुनावों से पहले आयोजित की जाती थी। बैठक में विभिन्न छात्र समूहों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। रिपोर्टों के मुताबिक, एबीवीपी सदस्यों और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया जैसे वामपंथी समूहों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। इसके बाद, वामपंथी छात्रों के रूप में पहचाने जाने वाले व्यक्तियों ने कथित तौर पर एबीवीपी सदस्यों को परिसर खाली करने की धमकी दी, जिसके बाद उन पर शारीरिक हमले भी किए गए। जेएनयू अध्यक्ष उमेश चंद्रा ने बताया कि हमलावरों ने साउंड सिस्टम चलाने वाले टेंट हाउस कर्मियों के प्रति जातिवादी अपमान भी किया। चंद्रा ने आगे कहा कि हमलावरों ने एबीवीपी सदस्यों पर हमला करने के लिए 'डफली' नामक ताल वाद्य यंत्र का इस्तेमाल किया। इसके विपरीत, जेएनयू परिषद सदस्य अनघा प्रदीप ने दावा किया कि एबीवीपी के छात्रों ने यूजीबीएम को बाधित किया और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) की वैधता को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। झगड़े के दौरान एबीवीपी सदस्यों को चोटें आईं, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया। एबीवीपी ने हमले की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया, जिसमें जेएनयू को अकादमिक प्रवचन के स्थान के बजाय वैचारिक वर्चस्व के लिए युद्ध का मैदान बताया गया। बयान में अपराधियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई का आग्रह किया गया है। फिलहाल, घटना के संबंध में कोई औपचारिक पुलिस शिकायत दर्ज नहीं की गई है। सो रही बेगम के मुंह में शौहर ने डाल दिया तार और ऑन कर दिया स्विच, चौंकाने वाली है वजह हल्द्वानी में हिंदू युवक की हत्या कर पटरी पर फेंका शव, मचा बवाल भाजपा में शामिल होंगे कमलनाथ ? जानिए क्या बोले मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम