नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को लेकर हुए विवाद को लेकर राजनीति गर्मा गई है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारियों द्वारा इस मामले में कहा गया है कि भारत में तालिबान की संस्कृति की जरूरत नहीं हैं। कानून अपना कार्य कर रहा है। जिसकी अनुमति नहीं दी जाना चाहिए। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की इकाई के संयुक्त सचिव प्रदीप नरवाल द्वारा यह कहा गया कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ऐसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शामिल है जहां राष्ट्रवाद ही गूंजता है। उन्होंने अपील की कि कन्हैया को लेकर सजा का निर्णय सर्वोच्च न्यायालय को ही करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि सरकार का विरोध करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की इकाई के संयुक्त सचिव प्रदीप नरवाल, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की इकाई जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल आॅफ सोशल साइंसेज के अध्यक्ष राहुल यादव और इस इकाई के सचिव अंकित हंस ने भारतीय जनता पार्टी की छात्र शाखा से इस्तीफा दे दिया था। एक ऐसी सरकार जिसने विद्यार्थियों पर ज़्यादती प्रारंभ कर दी उसके मुखपत्र बनकर वे नहीं रह सकते थे। उनका कहना था कि वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के हित में विरोध करने जा रहे थे। अंकित हंस द्वारा यह भी कहा गया कि छात्र के तौर पर वे विश्वविद्यालय के साथ खड़े हैं। उनके पार्टी के साथ वैचारिक मतभेद हैं। हाथ से लिखे त्यागपत्र में तीनों ने दावा किया कि उन्हें लगता है कि पूछताछ करने और विचारों को कुचलने के ही साथ पूरे वामपंथ की राष्ट्र विरोधी ब्रांडिंग करने में काफी अंतर है। इन छात्र नेताओं का कहना था कि गुंडागर्दी और राष्ट्रवाद के बीच बेहद अंतर है।